रामलला ने पहले दिन क्या-क्या पहना, किसने बनाया, ऐसे पूरा हुआ भव्य शृंगार

हीनों के इंतजार के बाद सोमवार की सुबह पीएम मोदी के राममंदिर में पहुंचते ही पूरी दुनिया को रामलला का दर्शन करने का सौभाग्य मिल गया। पांच साल के बालक के रूप में दर्शन दे रहे रामलला का प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर खास शृंगार किया गया था।

उन्हें दिव्य आभूषणों और वस्त्रों से सजाया गया था। इन दिव्य आभूषणों का निर्माण अध्यात्म रामायण, श्रीमद्वाल्मीकि रामायण, श्रीरामचरिमानस और आलवन्दार स्तोत्र के अध्ययन और उनमें वर्णित श्रीराम की शास्त्रसम्मत शोभा के अनुसार शोध और अध्ययन के बाद किया गया है। इस शोध के अनुसार ही यतींद्र मिश्र की परिकल्पना और निर्देशन में इन आभूषणों का निर्माण अंकुर आनन्द की संस्थान हरसहायमल श्यामलाल ज्वैलर्स लखनऊ ने किया है।
रामलला बनारसी वस्त्र से बनी पीताम्बर धोती और लाल रंग के पटुके (अंगवस्त्रम) से सुशोभित हैं। इन वस्त्रों पर शुद्ध सोने की जरी और तारों से काम किया गया है। इनमें वैष्णव मंगल चिन्ह- शंख, पद्म, चक्र और मयूर भी अंकित किया गया है। इन वस्त्रों का निर्माण अयोध्या धाम में रहकर दिल्ली के डिजाइनर मनीष त्रिपाठी ने किया है।

रामलला के बाएं हाथ में सोने का धनुष है। इनमें मोती, माणिक्य और पन्ने की लटकने लगी हैं। दाहिने हाथ में सोने का बाण धारण कराया गया है। गले में रंग-बिरंगे फूलों की आकृतियों वाली वनमाला धारण करायी गयी है। इसका निर्माण हस्तशिल्प के लिए समर्पित शिल्पमंजरी संस्था ने किया है। रामलला के प्रभा-मण्डल के ऊपर स्वर्ण का छत्र लगा है। के मस्तक पर पारम्परिक मंगल-तिलक को हीरे और माणिक्य से रचा गया है। भगवान के चरणों के नीचे जो कमल सुसज्जित है, उसके नीचे एक स्वर्णमाला सजाई गई है। भगवान पांच वर्ष के बालक-रूप में श्रीरामलला विराजे हैं, इसलिए पारम्परिक ढंग से उनके सामने खेलने के लिए चांदी से निर्मित खिलौने रखे गये हैं। इनमें झुनझुना, हाथी, घोड़ा, ऊंट, खिलौनागाड़ी और लट्टू हैं।

शीष पर माणिक्य, पन्ना और हीरा जड़ा सोने का मुकुट
रामलला के सिर पर शीष पर मुकुट है। इसे किरीट भी कहते हैं। यह उत्तर भारतीय परम्परा के अनुसार सोने से बनाया गया है। इसमें माणिक्य, पन्ना और हीरे भी जड़े हुए हैं। मुकुट के ठीक बीच में भगवान सूर्य अंकित हैं । मुकुट के दाईं ओर मोतियों की लड़ियाँ पिरोई गई हैं। मुकुट के अनुसार ही और उसी डिजाइन का कर्ण और अन्य आभूषण बनाए गए हैं। इनमें मयूर आकृतियाँ बनी हैं और यह भी सोने, हीरे, माणिक्य और पन्ने से सुशोभित हैं।

गले में रत्नों से बना कंठा
गले में अर्द्धचन्द्राकार रत्नों से जड़ित कंठा सुशोभित हो रही है। इसमें मंगल का विधान रचते पुष्प अर्पित हैं और बीच में सूर्य देव बने हैं। सोने से बने इस कण्ठा में हीरे, माणिक्य और पन्नें जड़े हैं। कण्ठे के नीचे पन्ने की लड़ियां लगाई गई हैं। रामलला के हृदय (सीने) पर कौस्तुभमणि धारण कराया गया है। इसे एक बड़े माणिक्य और हीरों के अलंकरण से सजाया गया है। यह शास्त्र-विधान है कि भगवान विष्णु और उनके अवतार हृदय में कौस्तुभमणि धारण करते हैं। इसलिए इसे धारण कराया गया है।

पंचलड़ा वाला हार
गले से नीचे नाभिकमल से ऊपर रामलला ने हार पहना है। इसका देवताओं के अलंकरण में विशेष महत्त्व है। यह पदिक पांच लड़ियों वाला हीरे और पन्ने का ऐसा पंचलड़ा है, जिसके नीचे एक बड़ा सा अलंकृत पेण्डेंट लगाया गया है। इसके अलावा तीसरा और सबसे लम्बा सोने से निर्मित एक अन्य हार भी पहन रखा है। इसमें कहीं-कहीं माणिक्य लगाये गये हैं, इसे विजय के प्रतीक के रूप में पहनाया जाता है। इसमें वैष्णव परम्परा के समस्त मंगल-चिन्ह सुदर्शन चक्र, पद्मपुष्प, शंख और मंगल-कलश दर्शाया गया है। इसमें पांच प्रकार के देवता को प्रिय पुष्पों का भी अलंकरण किया गया है, जो क्रमशः कमल, चम्पा, पारिजात, कुन्द और तुलसी हैं।

कमर में रत्नजड़ित करधनी
रामलला के कमर में करधनी धारण कराई गई है। इसे रत्नजड़ित बनाया गया है। स्वर्ण पर निर्मित इसमें प्राकृतिक सुषमा का अंकन है, और हीरे, माणिक्य, मोतियों और पन्ने से यह अलंकृत है। पवित्रता का बोध कराने वाली छोटी-छोटी पाँच घण्टियों भी इसमें लगायी गयी है. इन घण्टियों से मोती, माणिक्य और पन्ने की लड़ियों भी लटक रही हैं। दोनों भुजाओं में स्वर्ण और रत्नों से जड़ित मुजबन्ध पहनाये गये हैं। दोनों ही हाथों में रत्नजडित सुन्दर कंगन पहनाये गये हैं। बाएं और दाएं दोनों हाथों की मुद्रिकाओं में रत्नजडित मुद्रिकाएं सुशोभित हैं। इनमें से मोतियां लटक रही हैं। पैरों में छड़ा और पैजनियां पहनी हैं। इसके साथ ही सोने की पैजनियां पहनाई गई हैं।

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