अयोध्या के राम मंदिर को लेकर बड़ा अपडेट, टल गई सूर्य किरणों के अभिषेक की योजना

राम नवमी के अवसर पर रामलला के ललाट पर सूर्य किरणों के अभिषेक की योजना टल गयी है। इसके बाद कार्यदाई एजेंसी एलएण्डटी निर्धारित डिजाइन के अनुसार निर्माण कार्य को आगे बढ़ाने में जुट गयी है।राम मंदिर निर्माण की योजना के अलग-अलग कामों के लिए तीन चरण निर्धारित किए थे। इसमें पहले चरण में भूतल का काम हो गया है और रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा भी हो चुकी है। दूसरे चरण में काम दिसम्बर 2024 व तीसरे चरण का दिसम्बर 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य है। फिलहाल तीर्थ क्षेत्र महासचिव चंपतराय का दावा है कि राम मंदिर के शिखर के साथ अधिकांश काम 18 महीने में पूरा हो जाएगा।

गोस्वामी तुलसीदास महाराज की मूर्ति लगाने पर भी हो रहा मंथन

तीर्थ क्षेत्र महासचिव के अनुसार मंदिर के शिखर के साथ परकोटा व शेषावतार मंदिर के अलावा रामायण कालीन ऋषियों महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि अगस्त्य व महर्षि विश्वामित्र के अलावा माता शबरी, निषादराज व देवी अहिल्या का मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा। इसके अतिरिक्त यात्री सुविधा केंद्र का भी आधा भाग तैयार हो जाएगा। उधर राम मंदिर परिसर में गोस्वामी तुलसीदास महाराज की भी मूर्ति लगाने के लिए उचित स्थान पर मंथन चल रहा है। श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र की ओर से पहले ही चरण में उनकी मूर्ति की स्थापना का निर्णय लिया गया था लेकिन रामायण कालीन पात्रों के मंदिरों के निर्माण का फैसला होने के बाद पूर्व के निर्णय को स्थगित कर दिया गया।

उधर प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला को कथा सुनाने आए संत मोरारी बापू ने गोस्वामी तुलसीदास महाराज की मूर्ति स्थापना का आग्रह तीर्थ क्षेत्र महासचिव के समक्ष किया था। रामकथा के मंच से आग्रह के बाद तीर्थ क्षेत्र की ओर से अयोध्या नरेश विमलेन्द्र मोहन प्रताप मिश्र ने उन्हें आश्वस्त कर दिया। इस आश्वासन को ध्यान में रखकर विचार विमर्श चल रहा है।

महीने में चार बार होती है निर्माण कार्यों की समीक्षा

तीर्थ क्षेत्र महासचिव के मुताबिक श्रीरामजन्म भूमि परिसर में चल रहे निर्माण कार्यों की समीक्षा माह में दो बार ही नहीं चार बार होती है। उन्होंने बताया कि हर पखवाड़े भौतिक रूप से भवन निर्माण समिति की बैठक चेयरमैन नृपेन्द्र मिश्र की अध्यक्षता में होती है। इस बैठक के लिए वह दिल्ली से यहां आते हैं। वहीं हर हफ्ते आनलाइन समीक्षा भी की जाती है। इसके अलावा निर्माण कार्यों का फालोअप निर्धारित करने के लिए टीईसी इंजीनियरों की टीम भी यहां भौतिक रूप से मौजूद रहती है। यह टीम निर्माण कार्यों का फीडबैक भी टीईसी की ओर से भेजा जाता है।

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