कांग्रेस का गढ़ कही जाने वाली रायबरेली सीट को बचाने के लिए कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंक दी है। 2019 तक अमेठी सीट भी कांग्रेस की हुआ करती थी, लेकिन भाजपा ने पिछले लोकसभा चुनाव में यहां से कमल खिला दिया और ये सीट अपने कब्जे में कर ली।कांग्रेस अब रायबरेली के साथ अमेठी को भी बचाने की जुगत में जुट गई है। हालांकि दोनों सीटों पर अभी तक अपने उम्मीदवारों का ऐलान नहीं कर पाई है। ऐसे में लोग टकटकी लगाए बैठे हैं कि इन सीटों पर गांधी परिवार का कोई सदस्य चुनाव लड़ेगा या फिर किसी खास को मौका दिया जाएगा। इसको लेकर क्षेत्र के कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता लगातार दबाव बनाए हुए हैं कि इस बार प्रियंका गांधी यहां से चुनाव लड़ें। प्रियंका गांधी खुद भी रायबरेली के लोगों से सीधे संपर्क में हैं। ऐसे में ज्यादा संभावना यही है कि प्रियंका गांधी ही रायबरेली से उम्मीदवार होंगी। यदि ऐसा नहीं होता है तो गांधी परिवार का कोई करीबी ही उम्मीदवार होगा।
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी लगातार पांच बार से रायबरेली लोकसभा सीट पर भारी बहुमत से चुनाव जीतती रही हैं। वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में पहली बार इस सीट से चुनाव लड़ीं। वह राहुल गांधी के लिए अमेठी सीट छोड़कर रायबरेली आई थीं। फिर अपने ही इस्तीफे के कारण 2006 में हुए उपचुनाव में भी वह दोबारा जीतीं और फिर 2009, 2014 और 2019 के चुनाव में भी लगातार शानदार जीत दर्ज की। इससे पहले भी इस सीट से उनके परिवार या बेहद करीबी सांसद चुने गए हैं। इनमें ससुर फिरोज गांधी व सास इंदिरा गांधी के अलावा अरुण नेहरू, शीला कौल और कैप्टन सतीश शर्मा शामिल हैं। सोनिया गांधी से ठीक पहले 1999 के चुनाव में कैप्टन सतीश शर्मा ही रायबरेली से सांसद चुने गए थे। इस सीट पर भाजपा को केवल दो बार सफलता मिली है। वर्ष 1996 व 1998 के चुनाव में उसके प्रत्याशी अशोक सिंह सांसद चुने गए थे।
सोनिया गांधी का स्वास्थ्य ठीक न होने की वजह से पिछले लोकसभा चुनाव में रायबरेली में प्रचार की कमान प्रियंका गांधी ने ही संभाल रखी थी। उनके साथ पार्टी के वरिष्ठ किशोरी लाल शर्मा भी अहम भूमिका में रहे। वह सोनिया गांधी के प्रतिनिधि के रूप में 2004 से ही क्षेत्र का सारा कामकाज संभाल रहे हैं। क्षेत्र की जनता उन्हीं के माध्यम से अपनी भावनाएं गांधी परिवार तक पहुंचा रही है।