राजस्थान में भजनलाल शर्मा की कैबिनेट का विस्तार हो गया है। कुल 22 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई है। भजनलाल शर्मा के मंत्रिमंडल में 16 नए चेहरों के साथ-साथ पुराने चेहरों को भी मौका दिया गया है।हालांकि, कई बड़े नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के खास 2 नेताओं को ही शामिल किया गया है। इनमें से एक पूर्व विधायक का बेटा शामिल है। पूर्व मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर और पूर्व मंत्री नंदलाल मीणा के बेटे हेमंत मीणा को जगह मिली है।हालांकि, पूर्व मंत्री सुरेंद्र पाल सिंह टीटी को मंत्री बनाया गया है। लेकिन फिलहाल वह चुनाव लड़ रहे है। बाकि चेहरे वसुंधरा की टीम के नहीं है। इस लिहाज से देखा जाए तो भजनलाल कैबिनेट में वसुंधरा राजे का कद घटा है। राजे के धुर विरोधी माने जाने वाले किरोड़ी लाल मीणा और मदन दिलावर को जगह मिली है। जबकि राजे के समर्थक माने जाने वाले पूर्व कैबिनेट मंत्री जसंवत यादव और श्रीचंद कृपलानी को जगह नहीं मिली है। सियासी जानकार इससे अलग-अलग मायने निकाल रहे है। वसुंधरा राजे कैंप का दबदबा नहीं दिखाई दिया है।
वसुंधरा राजे कैंप को लगा बड़ा झटका
भजना लाल शर्मा कैबिनेट के विस्तार में वसुंधरा राजे कैंप को बड़ा झटका लगा है। राजे कैंप के माने जाने वाले पूर्व मंत्री दिगंबर सिंह के बेटे शैलेष सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री नटवर सिंह के बेटे जगत सिंह को कैबिनेट में जगह नहीं मिली है। दोनों ही सीएम के गृह जिले भरतपुर से आते है। लेकिन माना जा रहा है कि राजे के करीबी होने की वजह से शैलेष सिंह को जगह नहीं मिला है। बता दें शैलेष सिंह डीग-कुम्हेर से चुनाव जीते है। महाराज विश्वेंद्र सिंह को हराया है। शैलेष सिंह के पिता स्वर्गीय दिगबंर सिंह वसुंधरा राजे कैंप के माने जाते थे। भरतपुर से एकमात्र मंत्री नगर विधायक जवाहर सिंह बेढ़म को बनाया गया है।
वसुंधरा राजे समर्थक कितने नेता मंत्रिमंडल में शामिल
वसुंधरा राजे के करीबी माने जाने वाले गजेंद्र सिंह खींवसर, ओटाराम देवासी, सुरेंद्र पाल सिंह टीटी को कैबिनेट में जगह मिली है। ऐसा माना जा रहा है कि कैबिनेट में नए चेहरों को मौका इसलिए दिया गया है ताकि राजे कैंप का असर कम हो सके। यही वजह है कि राजे कैंप के माने जाने वाले पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी के पोते को कैबिनेट में जगह नहीं मिली है। जबकि देवी सिंह भाटी वसुंधरा राजे के कट्टर समर्थक माने जाते है। उनके पोते ने कैबिनेट मंत्री भंवर सिंह भाटी को चुनाव हराया है। लेकिन इससे बावजूद भी कैबिनेट में जगह नहीं मिली है।