अब राजा भैया से मिलने खुद पहुंचे अखिलेश यादव, यूपी में राज्यसभा चुनाव के लिए जोड़-तोड़ तेज

लोकसभा चुनाव से पहले यूपी में राज्यसभा चुनाव को लेकर जोड़-तोड़ तेज हो गई है। दस सीटों के लिए यूपी में 11 प्रत्याशी मैदान में हैं। भाजपा ने आठ और सपा ने तीन प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं।भाजपा के सात और सपा के दो प्रत्याशियों की जीत तय है। भाजपा को आठवें प्रत्याशी के लिए 9 वोट और सपा को तीन वोट चाहिए। वोटों का गणित कुछ ऐसा बन रहा है कि एक-एक वोट की कीमत हो गई है। ऐसे में दो वोट वाले बाहुबली विधायक राजा भैया भी महत्वपूण हो गए हैं। उनकी जनसत्ता पार्टी के पास दो वोट हैं। ऐसे में उनके दोनों वोट पाने के लिए भाजपा और सपा दोनों लगी हुई हैं।पिछले हफ्ते पहले सपा प्रदेश अध्यक्ष ने राजा भैया से मुलाकात की और अखिलेश यादव से फोन पर बात कराई थी। इसके बाद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी राजा भैया से मिलने पहुंचे। शनिवार को खुद अखिलेश यादव राजा भैया से मिले। भारत समाचार चैनल के अनुसार दोनों के बीच भी राज्यसभा चुनाव के साथ ही आने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर बातचीत हुई है। एक हफ्ते में दूसरी बार बातचीत और मुलाकात को लेकर माना जा रहा है कि बातचीत लगभग फाइनल हो गई है।राज्यसभा के एक प्रत्याशी को 37 विधायकों की जरूरत है। सपा को अपने तीनों प्रत्याशियों को जिताने के लिए 111 वोट चाहिए। सपा के 108 विधायक पिछले विधानसभा चुनाव में जीते थे। इसमें से दो विधायक रमाकांत यादव और इरफान सोलंकी जेल में हैं। ऐसे में सपा के पास 106 विधायक रह जाते हैं। कांग्रेस के दो वोटों को मिलाने के बाद सपा फिर से 108 वोट हो जाते हैं। अब भी सपा को तीन वोट चाहिए। राजा भैया के दो वोट मिलने पर सपा को केवल एक विधायक की जरूरत रह जाएगी। इस एक वोट के लिए सपा की नजर रालोद और बसपा की तरफ है। बसपा के एकमात्र विधायक उमाशंकर सिंह अभी तक अपना रुख तय नहीं कर सके हैं।

सपा को रालोद से आस
अगर राजा भैया और बसपा से भी वोट न मिले तो सपा को रालोद से तीन वोट मिलने की आस है। रालोद के नौ विधायक हैं। इनमें से तीन विधायक सपा मुखिया के करीबी कहे जाते हैं। यह पहले सपा में ही रहे हैं और अखिलेश यादव ने ही उन्हें रालोद के टिकट पर लड़ाया था। अगर यह तीनों वोट सपा को मिल गए तो राजा भैया या बसपा के वोट की जरूरत नहीं होगी।

भाजपा को आठवां प्रत्याशी जिताने के लिए 9 वोटों की जरूरत
भाजपा को अपने आठों प्रत्याशियों को जिताने के लिए 296 वोटों की जरूरत होगी। जबकि उसके पास राजा भैया के दोनों वोट मिलाकर भी 287 मत हैं। भाजपा के पास 252 विधायक हैं। सहयोगी अपना दल के पास 13, रालोद के पास 9, निषाद पार्टी के पास 6, सुभासपा के पास 5 (अब्बास अंसारी को छोड़कर) और राजा भैया की जनसत्ता दल-2 को भी जोड़ लें तो 287 मत हैं। यानी नौ वोट कम हैं।

दूसरी वरीयता के मतों पर भी भाजपा की नजर
भाजपा अगर नौ वोटों का जुगाड़ नहीं कर पाती और सपा भी चार वोट कहीं से नहीं ले पाती तो दूसरी वरीयता के वोटों की गिनती होगी। भाजपा को उम्मीद है कि उसके प्रत्याशी को दूसरी वरीयता के वोटों की गिनती में आसानी से जीत हासिल हो जाएगी।

कड़ी चौकसी में होंगे राज्यसभा चुनाव
राज्यसभा की 10 रिक्त सीटों के लिए 27 फरवरी को होने वाले मतदान में पूरी चौकसी बरती जाएगी। विधान भवन के चारों तरफ कड़ा सुरक्षा घेरा रहेगा। अन्दर परिसर में भी चाक-चौबंद सुरक्षा इंतजाम रहेंगे। शुक्रवार को इस मतदान को शांतिपूर्वक, निष्पक्ष और सुरक्षात्मक ढंग से सम्पन्न करवाने के लिए उच्च स्तरीय बैठक हुई। इन चुनावों के लिए रिटर्निंग आफिसर विधानसभा के विशेष सचिव बृजभूषण दुबे ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि शुक्रवार की बैठक में मतदान को सकुशल सम्पन्न करवाने के लिए सभी आवश्यक प्रबंध सुनिश्चत किये जाने की समीक्षा की गई है।

राज्यसभा की 10 सीटों के लिए जिन 11 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किए हैं, उनमें समाजवादी पार्टी से जया बच्चन, रामजी लाल सुमन, आलोक रंजन और भाजपा से कुंवर आरपीएन सिंह, सुधांशु त्रिवेदी, तेजवीर सिंह, साधना सिंह, अमरपाल मौर्य, संगीता, नवीन जैन और संजय सेठ शामिल हैं। इन चुनावों के लिए सत्तारूढ़ भाजपा और मुख्य विपक्षी दल सपा अपनी-अपनी चुनावी रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं।
27 फरवरी को मतदान सुबह नौ बजे से शाम 4 बजे तक चलेगा। मतदान तिलक हाल में होगा और विधायकों को कमरा नबर-80 में पर्चियां दी जाएंगी। इसके बाद मतणगना होगी और नतीजे घोषित होंगे।

मंगलवार 20 फरवरी को उम्मीदवारों द्वारा नामांकन वापस लिए जाने की आखिरी तारीख थी। किसी भी उम्मीदवार ने अपना पर्चा वापस नहीं लिया। 15 फरवरी तक इन 10 सीटों के लिए कुल 11 उम्मीदवारों के नामांकन पत्र प्राप्त हुए थे। शुक्रवार 16 फरवरी को नामांकन पत्रों की जांच रिटर्निंग आफिसर विधानसभा के विशेष सचिव बृज भूषण दुबे द्वारा की गई। जांच में सभी नामांकन पत्र सही पाए गए। इस जांच के दौरान पर्यवेक्षक के रूप में प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा भी मौजूद थे।

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