पराली पर ब्लेम गेम के बीच आंकड़ों ने बताया सच; अकेले पंजाब 65% मामलों का जिम्मेदार, हरियाणा बस इतना

पंजाब व दिल्ली में सत्तारूढ़ आप और हरियाणा में भाजपा के बीच पराली जलाने को लेकर आरोप-प्रत्यारोप जारी है। दोनों पार्टियों ने एक-दूसरे की सत्ता वाले राज्यों में पराली जलाने को नई दिल्ली में गंभीर वायु प्रदूषण का जिम्मेदार बताया है।हालांकि, यह भी फैक्ट है कि पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में दोनों राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं में भारी गिरावट आई है। सैटेलाइट के जरिए सोमवार को 6 राज्यों में पराली जलाने के 2,914 मामलों का पता लगाया गया। इनमें पंजाब में 2,060, हरियाणा में 65, उत्तर प्रदेश में 87, दिल्ली में 0, राजस्थान में 47 और मध्य प्रदेश में 655 घटनाएं सामने आईं। इस तरह 15 सितंबर से 6 नवंबर के बीच कुल मिलाकर 29,641 मामले हो गए।

आंकड़ों पर नजर डालने से पता चलता है कि पंजाब में 19,463 (कुल का 65.6%) खेत में पराली जलाने की घटनाएं दर्ज हुईं। मध्य प्रदेश में 6,218 (20.97%), हरियाणा में 1,579 (5.3%), उत्तर प्रदेश में 1,270 (4.2%), राजस्थान में 1,109 (3.7%) और दिल्ली में 2 (.006%) ऐसे मामले सामने आए। अगर, हरियाणा की बात करें तो इस साल 6 नवंबर तक पराली जलाने के 1,579 मामलों की तुलना में 2022 में इसी अवधि में 2,576 मामले दर्ज हुए थे। वहीं, पंजाब में इस साल 19,463 की तुलना में 2022 में पराली जलाने की 29,999 घटनाएं सामने आईं।

संगरूर में एक दिन में पराली जलाने की 509 घटनाएं
पंजाब में सोमवार को सबसे अधिक मामले संगरूर में 509 दर्ज हुए थे। इसके बाद बठिंडा, मनसा, बरनाला, फिरोजपुर, फरीदकोट मोगा और पटियाला में क्रमशः 210, 195, 189, 146, 122, 110 और 89 मामले रिपोर्ट हुए। पठानकोट में शून्य और रोपड़ में एक मामला सामने आया। पंजाब में 15 सितंबर से 6 नवंबर के बीच खेत में आग लगने के मामलों में पिछले साल की तुलना में 35% की कमी देखी गई है। दूसरी ओर, हरियाणा में यह आंकड़ा 38.7 प्रतिशत है। मालूम हो कि पंजाब में धान की खेती 32 लाख हेक्टेयर और हरियाणा में 15 लाख हेक्टेयर में की जाती है। इस तरह धान की खेती को लेकर हरियाणा से पंजाब काफी आगे नजर आता है।

हरियाणा के फतेहाबाद से आए सबसे अधिक मामले
हरियाणा में सोमवार को खेत में फसल को आग लगाने के सबसे ज्यादा 21 मामले फतेहाबाद में दर्ज हुए थे। इसके बाद जिंद में 16, सिरसा में 8, कैथल और करनाल में 4-4 ऐसे मामले दर्ज किए गए। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) से पराली जलाने के आंकड़ों का विश्लेषण का एक अधिकारी किया। उन्होंने कहा, ‘पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के मामलों में 35 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है। इसके बावजूद वायु गुणवत्ता सूचकांक राष्ट्रीय राजधानी में समान बना हुआ है। ऐसे में समस्या तो कहीं और मालूम पड़ती है। यह सही बात है कि पराली बिल्कुल नहीं जलनी चाहिए, मगर हर समय किसानों को दोष देना ठीक नहीं है।’

दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में कैसा है AQI
दिल्ली में मंगलवार को सुबह प्रदूषण के स्तर में मामूली गिरावट आई और लगातार 5 दिन वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में रहने के बाद ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई। राष्ट्रीय राजधानी में एक्यूआई 394 दर्ज किया गया है जबकि सोमवार शाम चार बजे एक्यूआई 421 दर्ज किया गया। इस बीच, हरियाणा के फतेहाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 425 दर्ज किया गया। इसके बाद फरीदाबाद में 412, सोनीपत में 412, जींद में 385, हिसार में 380, गुरुग्राम में 376, कैथल में 370, नारनौल में 340, भिवानी में 334, रोहतक में 326 और सिरसा में 308 दर्ज किया गया। पंजाब के अमृतसर में एक्यूआई 329 दर्ज किया गया। इसके बाद बठिंडा में 297, लुधियाना में 283, मंडी गोबिंदगढ़ में 266, जालंधर में 231, खन्ना में 228 और पटियाला में 220 दर्ज किया गया। पंजाब और हरियाणा की संयुक्त राजधानी केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में AQI 149 दर्ज किया गया।

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