हिंदू धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन प्रदोष व्रत को बेहद ही खास माना गया है जो कि हर माह में दो बार पड़ता है पंचांग के अनुसार प्रदोष व्रत हर माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर मनाया जाता है इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत पूजा की जाती है और दिनभर का उपवास रखा जाता है
प्रदोष व्रत शिव पार्वती की पूजा को समर्पित होता है। अगर आपके वैवाहिक जीवन में किसी तरह की समस्या बनी हुई है रिश्तों में तनाव है तो ऐसे में आप प्रदोष व्रत जरूर करें। इससे शादीशुदा जीवन में प्रेम और मधुरता बनी रहती है ज्येष्ठ माह का प्रदोष व्रत इस बार 4 जून दिन मंगलवार को मनाया जाएगा। मंगलवार को प्रदोष पड़ने के कारण ही इसे भौम प्रदोष के नाम से जाना जा रहा है तो आज हम आपको शिव पार्वती की पूजा विधि बता रहे हैं।
प्रदोष पर ऐसे करें पूजा-
भौम प्रदोष के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करें इसके बाद साफ वस्त्रों को धारण करके भगवान के समक्ष व्रत का संकल्प करें। अब दिनभर उपवास करें और शाम के समय सूर्यास्त से पहले स्नान करके सफेद वस्त्र धारण करें। फिर पूजा स्थल पर गंगाजल और गाय के गोर से लीपकर मंडप तैयार करें। इस मंडप पर पांच रंगों से रंगोली बनाएं। पूजन की तैयारी के बाद उत्तर पूर्व दिशा की ओर मुख करके शिव की आराधना के लिए कुश के आसान पर बैठ जाएं।
अब पंचाक्षर मंत्र ऊॅं नमःम शिवाय मंत्र का जाप करते हुए शिव का जलाभिषेक करें इसके बाद सफेद पुष्पों की माला, धतूरा, चंन, धूप और दीपक अर्पित करें अंत में कथा पड़ें और भगवान को भोग लगाएं। इसके बाद आरती कर भगवान से भूल चूक के लिए क्षमा मांगे। इस दिन गरीबों को दान जरूर दें।