गाजा की जंग से पाकिस्तान का हाल तंग, 70 अरब डॉलर की रकम अटकने का खतरा; अब क्या करेगा पड़ोसी

मास और इजरायल के बीच जारी जंग के बाद पश्चिम एशिया की भू-राजनीति पर भारी असर पड़ा है। मौजूदा स्थिति ने पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की गिरती इकॉनमी की चिंताओं में और इजाफा किया है। पाकिस्तान में विशेष निवेश के तहत 70 अरब डॉलर के निवेश किए जाने की उम्मीद थी मगर मौजूदा भू-राजनीतिक और वाणिज्यिक कारणों से इन निवेश में देरी हो रही है।जाहिर इस देरी के पीछे हमास और इजरायल के बीच जारी गतिरोध बहुत हद तक जिम्मेदार है। इस बात से सभी वाकिफ हैं कि पाकिस्तान दिवालिया होने के कगार पर है, गले तक कर्ज में डूबे पाकिस्तान के लिए 70 अरब डॉलर के निवेश को एक राहत की सांस के तौर पर देखा जा रहा था, मगर इसमें हो रही देरी से पाकिस्तानी हुक्मरानों की नींद उड़ी हुई है।

निवेश के तौर-तरीकों पर चिंता
बहुस्तरीय निवेश के मद्देनजर सऊदी अरब विशेष तौर पर पाकिस्तान में निवेष करना चाहता था, जिसके लिए पाकिस्तानी सरकार तांबे और सोने के खदानों के मूल्यांकन को अंतिम रूप दे रही है। हालांकि, इसके निवेश के तौर-तरीकों को लेकर सऊदी अरब से साथ चर्चा होना बाकी है। मगर निकट भविष्य में इस चर्चा में देरी लाजमी है, क्योंकि मौजूदा वक्त में सऊदी अरब का खासा ध्यान इजरायल के खिलाफ इस्मालिक देशों को एक करने में है। बात करें के इन निवेशों की रूपरेखा की तो पाकिस्तान के पूर्व पीएम शहबाज शरीफ ने सेना प्रमुख की सलाह पर इस साल जून में स्पेशल इन्वेस्टमेंट फेसिलिटेशन काउंसिल (एसआईएफसी) की स्थापना की थी, जिसके चलते आर्थिक मामलों में सेना की भूमिका को लेकर चिंताएं बढ़ गई थीं।

उड़ी हुक्मरानों की नींद
सितंबर के शुरुआती दिनों में खबर आई थी कि सऊदी अरब पाकिस्तान के अंदर 25 बिलियन डॉलर का निवेश करेगा। पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवर-उल-हक काकर ने कहा था कि सऊदी अरब अगले दो से पांच वर्षों में पाकिस्तान में विभिन्न क्षेत्रों में 25 बिलियन डॉलर तक का निवेश करेगा। पाकिस्तान को उम्मीद है कि इस निवेश से पाकिस्तान दिशा और दशा में बदलाव आएगा। मगर फिलहाल इन निवेशों में देरी के चलते पाकिस्तान के हुक्मरानों की नींद उड़ी हुई है।

चीन ने मोड़ा मुंह
पाकिस्तान को खाड़ी देशों से आने वाले निवेशों को लेकर भारी उम्मीदें हैं, मगर इन सबके बीच जो खास बात उभर कर आ रही है वह ये कि अब पाकिस्तान के खास दोस्त चीन को उसमें कोई खास दिलचस्पी नहीं बची है। चीन से साफ कर दिया है कि वह पाकिस्तान में अपने चीन-पाक आर्थिक गलियारा (CPEC) का विस्तार आगे नहीं करेगा। पाकिस्तान लाख मिन्नते चीन के सामने कर रहा है, मगर चीन के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रहा। ऐसे में मौजूदा हालात पाकिस्तान की महंगाई में आटा गीला कर रहे हैं।

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