बिहार में इंडिया गठबंधन के छह दलों के महागठबंधन (एमजीबी) और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का स्वरूप बदलने की अटकलों के बीच एक राष्ट्रीय समाचार चैनल ने दावा किया है कि जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) की एनडीए में वापसी इस सवाल पर फंसी है कि इस बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बनेंगे या भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का कोई नेता पहली बार बिहार का सीएम बनेगा।
समाचार चैनल ने सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि भाजपा अब नीतीश को मुख्यमंत्री बनाने को तैयार नहीं है और यह बात जेडीयू को बता दी गई है। सूत्रों का कहना है कि जेडीयू अध्यक्ष नीतीश अभी सीएम पद छोड़ने को तैयार नहीं हैं।
महागठबंधन में दिक्कत की जो चर्चा होती है उसमें यही कहा जाता है कि राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के अध्यक्ष लालू यादव अपने बेटे और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को सीएम बनाने का दबाव डाल रहे हैं। जेडीयू को यह पसंद नहीं आ रहा है। नीतीश ने पहले कहा था कि 2025 के चुनाव में तेजस्वी नेतृत्व करेंगे और वही उनके सब कुछ हैं। लेकिन दिल्ली में इंडिया गठबंधन की चौथी बैठक के बाद से ही नीतीश के मन बदलने की अटकलें लग रही हैं।
ललन सिंह का इस्तीफा और नीतीश का फिर से जेडीयू अध्यक्ष बनना उसी से जुड़ा एक घटनाक्रम है। बिहार में महागठबंधन की बेहाली का आलम यह है कि 24 जनवरी को कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती पर जेडीयू और आरजेडी ने अलग कार्यक्रम किया जिसमें दोनों ने ही कांग्रेस, सीपीआई-माले, सीपीआई और सीपीएम को नहीं बुलाया।
राजनीतिक गलियारों में अटकल ये भी है कि नीतीश के हिसाब से चीजें नहीं हो पाईं तो वो विधानसभा भंग करने की सिफारिश कर सकते हैं। लोकसभा के साथ ही विधानसभा चुनाव होने पर किसी भी गठबंधन में रहने पर नीतीश को जेडीयू के विधायकों की संख्या बढ़ाने का मौका मिल सकता है। इस समय जेडीयू तीसरे नंबर की पार्टी है लेकिन पहले बीजेपी और अब आरजेडी के समर्थन से सरकार का नेतृत्व कर रही है।
लालू और नीतीश की ट्यूनिंग बिगड़ चुकी है इसके संकेत लगातार मिल रहे हैं। पटना में लंबे समय के बाद दोनों मकर संक्रांति पर दस मिनट के लिए मिले जिसमें लालू ने पिछली दो बार की तरह नीतीश को दही का टीका नहीं लगाया। कर्पूरी जयंती पर जेडीयू की रैली में नीतीश ने परिवारवाद के खिलाफ बोला जिसे लालू के ऊपर लिया गया। आज लालू की बेटी रोहिणी आचार्य ने इशारों में तीन ट्वीट किए जिसका निशाना नीतीश को माना गया। बाद में ट्वीट डिलीट हो गए जिससे लगता है कि नीतीश को मनाने की कोशिश चल रही है।
इस बीच बिहार में बीजेपी के बड़े नेता और नीतीश सरकार में कई बार डिप्टी सीएम रहे सुशील कुमार मोदी ने इशारों में नीतीश की एनडीए में वापसी को लेकर बीजेपी के रुख में नरमी का संकेत दिया है। अमित शाह ने भी एक अखबार को इंटरव्यू में दूर चली गई पार्टियों को साथ लाने के सवाल पर कहा था कि कोई प्रस्ताव आएगा तो विचार किया जाएगा। अब सुशील मोदी ने कहा है कि गठबंधन और सीट बंटवारा का फैसला पार्टी नेतृत्व करता है, उसमें राज्य यूनिट का हस्तक्षेप नहीं होता है। बीजेपी सांसद मोदी ने कहा है कि अगर पार्टी नेतृत्व कोई फैसला लेता है तो उसे स्वीकार करना ही होगा। बिहार बीजेपी अध्यक्ष सम्राट चौधरी नीतीश को लेकर काफी मुखर हैं और अब भी उन पर हमले बोल रहे हैं। उन्हें पार्टी नेतृत्व ने दिल्ली बुलाया है।