बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (HAM) सुप्रीमो जीतनराम मांझी ने नीतीश सरकार से ऐसी मांग की है, जो पूरी हो जाए तो राज्य के सरकारी स्कूलों में कमाल का बदलाव आएगा।
मांझी ने गुरुवार को शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के काम की तारीफ की है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर वे एक काम और कर दें तो शिक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधार हो जाएगा। मांझी ने बिहार में अफसर, विधायक या मंत्री कोई भी हो, सभी को अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में ही पढ़ाने की मांग की।
पूर्व सीएम जीतनराम मांझी ने गुरुवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट शेयर किया। इसमें उन्होंने लिखा कि वैसे तो केके पाठक शिक्षा की दिशा में अद्वितीय काम कर रहे हैं। उन्हें एक और काम करना चाहिए। मुख्य सचिव हो या चपरासी, विधायक हो या मंत्री, सरकार से वेतन उठाने वाले हर नेता, कर्मचारी और अधिकारी का बच्चा सरकारी स्कूल में ही पढ़ना चाहिए। अगर यह नियम बन गया तो शिक्षा के क्षेत्र का ऐतिहासिक सुधार होगा।
इससे पहले जीतनराम मांझी ने नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने के फैसले पर नीतीश सरकार पर तंज कसा था। उन्होंने कहा कि जब वे महागठबंधन सरकार में थे तभी सीएम नीतीश कुमार के पुराने फैसले को गलत बताकर रद्द कर दिया था। अब नीतीश ने शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देकर फिर से बता दिया कि उनकी मांग राज्यहित में थी।
बता दें कि बिहार के चर्चित आईएएस अधिकारी को पिछले साल ही नीतीश सरकार ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव बनाया था। एसीएस का पदभार संभालने के बाद से ही वे शिक्षा क्षेत्र में बदलाव लाने के लिए कई फैसले ले चुके हैं। पाठक के फैसलों पर कई बार शिक्षा विभाग के कर्मचारियों से लेकर शिक्षक और अभिभावक तक सवाल उठा चुके हैं। हालांकि, फिर भी वे अपने फैसलों पर अड़िग रहे हैं। इसे लेकर उनकी शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर से तनातनी भी हो चुकी है।