ओडिशा में लगातार सत्ता, फिर क्यों नवीन पटनायक को छोड़ रहे साथी; कैसे भाजपा ही ठिकाना

ओडिशा की केंद्रपाड़ा लोकसभा सीट से बीजू जनता दल के सांसद अनुभव मोहंती ने सोमवार को भाजपा का दामन थाम लिया। उनके साथ ही दो पूर्व विधायकों समेत कुछ और नेता पार्टी में आ गए। मोहंती ने शनिवार को ही बीजेडी से इस्तीफा दे दिया था।पिछले करीब एक महीने में 4 मौजूदा विधायक और करीब इतने ही पूर्व विधायक भाजपा में आ गए हैं। इसके अलावा भर्तृहरि महताब जैसे सीनियर सांसद भी भाजपा में आ गए हैं। वह लगातार 6 बार के सांसद हैं और उन्हें भाजपा कटक सीट से उतार सकती है। अब अनुभव मोहंती की पार्टी में एंट्री हुई है।
राज्य में विधानसभा के चुनाव भी होने हैं। ऐसे में विधायक से लेकर सांसद तक का भाजपा में जाना नवीन पटनायक के लिए चिंता की बात है, जो लगातार करीब ढाई दशक से ओडिशा की सत्ता में बने हुए हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर नवीन पटनायक को छोड़कर उनके कई बड़े नेता भाजपा के साथ क्यों जा रहे हैं। वह भाजपा जो लंबे समय से ओडिशा में बहुत बड़ी ताकत नहीं है। हालांकि 2014 के बाद से उसने ओडिशा में विस्तार किया है। इसके अलावा संबित पात्रा, धर्मेंद्र प्रधान और बैजयंत जय पांडा जैसे नेताओं को प्रमोट करके माहौल भी बनाने की कोशिश की है।बैजयंत जय पांडा खुद बीजेडी से ही आए हैं और 2019 में भाजपा में शामिल हुए थे। माना जा रहा है कि इन नेताओं की भाजपा में एंट्री कराने में भी उनकी अहम भूमिका रही है। 21 लोकसभा सीटों वाले इस राज्य में पहले तो भाजपा और बीजू जनता दल के बीच गठजोड़ की चर्चाएं चल रही थीं। लेकिन इस पर सहमति नहीं बनी है और उसके बाद से ही कई नेताओं का पलायन जारी है। भर्तृहरि महताब जैसे नेता तो बीजू जनता दल की स्थापना के दौर से ही पार्टी में रहे हैं। ऐसे में उनका छोड़कर जाना नवीन पटनायक के लिए करारा झटका है।
उत्तराधिकार के संघर्ष के चलते बढ़ रही पार्टी में टूट?
ओडिशा की राजनीति के जानकार मानते हैं कि इसके पीछे एक वजह उत्तराधिकार के संघर्ष की है। नवीन पटनायक का कोई परिवार नहीं है, जिसे वह राजनीतिक विरासत सौंप दें। अब उनकी उम्र बढ़ रही है और जिस तरह से पूर्व आईएएस वीके पांडियान उनके करीबी बने हैं, उससे नेता असहज हैं। सारे अहम फैसले पांडियान ही लेते हैं और बड़े नेताओं का कहना है कि पहले की तरह उनकी राय नहीं ली जाती। इसके चलते पुराने नेता अपने भविष्य को लेकर असुरक्षित हैं। वहीं लगातार मजबूत हो रही भाजपा को वह अपने लिए सुरक्षित ठिकाने के तौर पर भी देखते हैं। इस तरह बीजेडी में मुश्किल और भाजपा में सुरक्षित भविष्य को देखते हुए नेता पलायन कर रहे हैं।
6 बार के सांसद ने बताया, क्यों बीजेडी से अब मोहभंग
भाजपा में आने के बाद खुद भर्तृहरि महताब ने भी बताया कि वह नवीन पटनायक को क्यों छोड़ आए। उन्होंने कहा कि यह अब वह बीजू जनता दल नहीं है, जो 1997 में हमने बनाई थी। उन्होंने कहा कि पिछले 4-5 सालों में करप्शन और रेप के आरोपी भी टिकट पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सत्ता में आने के बाद भी नवीन पटनायक तमाम नेताओं से सलाह लेते थे और एक राजनीतिक सलाहकार समिति यानी पीएसी बनाई गई थी। अब वह पीएसी कहां चली गई। अब तो आदेश आते हैं और उन्हें मानना होता है।

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