एमपी में शानदार जीत के बाद शिवराज की दावेदारी मजबूत, 16 घंटे काम, एक दिन में 8-10 रैलियां

ध्य प्रदेश में भाजपा ऐतिहासिक जीत दर्ज करने की ओर है। वैसे तो भाजपा ने बिना सीएम कंडिडेट घोषित किए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चेहरे को आगे रख कर चुनाव लड़ा, लेकिन सीएम शिवराज सिंह चौहान के अथक श्रम और धुआंधार प्रचार अभियान से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।पीटीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इन चुनावों में शिवराज सिंह चौहान ने तमात विपरित परिस्थितियों के बावजूद एमपी में अपनी लोकप्रियता का लोहा मनवाया है। कुछ प्रतिद्वंद्वियों की मौजूदगी के बावजूद सीएम शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश में एक लोकप्रिय नेता के रूप में उभरे हैं। शिवराज के चुनावी कैंपेन को फोकस करती एक रिपोर्ट…

इस बार भाजपा पिछले चुनाव 2018 के उलट न केवल ऐतिहासिक जीत हासिल करने की ओर है, वरन कांग्रेस की परंपरागत कही जाने वाली सीटें भी भाजपा के खाते में जाती दिखाई दे रही हैं। अब सूबे का सीएम कौन होगा। इस पर चर्चा हो रही है।

भाजपा के तमाम नेताओं में शिवराज सिंह चौहान का पलड़ा भारी नजर आ रहा है। इसकी वजह भी ठोस है। इस विधानसभा चुनाव में शिवराज ने अथक परिश्रम किया। वह रोज सुबह 8 बजे से चुनाव प्रचार में निकलते थे और देर रात 1 से 2 बजे तक भोपाल पहुंचते थे। मात्र चार घंटे की नींद के बाद, वह फिर से सक्रिय हो जाते थे और सुबह 6 से 8 बजे के बीच फोन पर विभिन्न विधानसभा सीटों पर फीडबैक लेते थे।

सीएम शिवराज सिंह चौहान की टीम का कहना है कि इस साल की शुरुआत यानी 1 जनवरी से लेकर 15 नवंबर को चुनाव प्रचार खत्म होने तक सीएम चौहान ने करीब 1,000 कार्यक्रमों को संबोधित किया। वह एक दिन में लगभग तीन तीन सभाओं को संबोधित करते थे।

चुनाव घोषित होने से पहले, उन्होंने 53 जिलों में 53 महिलाओं की रैलियों को संबोधित किया। 9 अक्टूबर को आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद, चौहान ने लगभग 37 दिनों में राज्य भर में 165 रैलियों को संबोधित किया। शिवराज ने हर दिन औसतन 8 से 10 रैलियों को संबोधित किया। कभी-कभी तो यह संख्या 12 से लेकर 13 तक पहुंच गई थी।

यदि सूबे के नेताओं की बात करें तो एक तरफ शिवराज थे तो दूसरी ओर कमलनाथ और दिग्विजय सिंह थे लेकिन शिवराज के श्रम के सामने विपक्षी नेताओं की जोड़ी कमजोर पड़ती नजर आई। चौहान हर जगह लोगों से मिल रहे थे, वहीं कमलनाथ संक्षिप्त दौरों के साथ प्रचार करते नजर आए। चौहान की स्पष्ट लोकप्रियता के आगे विपक्षी नेताओं की फौज पस्त नजर आई। खासकर सूबे की महिलाओं के बीच शिवराज ने एक हितैषी नेता की छवि बनाई। इससे भाजपा को महिला मतों को हासिल करने में मदद मिली। नतीजतन भाजपा ने सूबे में शानदार सफलता हासिल की।

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