हेडलाइन पर नहीं, डेडलाइन पर काम करने वाला आदमी हूं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया लक्ष्य

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वह हेडलाइन पर नहीं, डेडलाइन पर काम करने वाले आदमी हैं। पीएम मोदी ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि एक आम आदमी के जीवन में आ रहे छोटे-छोटे सकारात्मक बदलाव सुर्खियों में नहीं आ पाते हैं।लेकिन सच यह है कि इन बदलावों से इन लोगों का जीवन बहुत आसान हुआ है। पीएम मोदी ने इस दौरान भारत में स्टार्टअप्स और मुद्रा योजना की भी बात की। उन्होंने ड्रोन दीदी और रेहड़ी-पटरी पर काम करने वालों द्वारा डिजिटल पेमेंट्स के तरीकों के अपनाए जाने का खास उल्लेख किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में बोल रहे थे। इसी दौरान पीएम मोदी ने अपना लक्ष्य भी बताया कि वह 2029 नहीं, बल्कि 2047 के लिए लगे हैं।

खास योजनाओं का जिक्र
इस कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने उन योजनाओं का खास तौर पर जिक्र किया जो सरकार द्वारा आम आदमी के लिए शुरू किया गया है। अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आज मैं उन योजनाओं की बात करूंगा, जिनके बारे में मीडिया कम बातें करता है। प्रधानमंत्री ने कहाकि हाल ही में उन्होंने 1000 महिलाओं को ड्रोन दिए। उन्होंने कहाकि यह महिलाएं गांवों में सेल्फहेल्प ग्रुप चलाती हैं और अचार, मुरब्बा जैसी चीजें बनाती हैं। पीएम ने कहाकि यह ड्रोन युवकों को भी दिए जा सकते थे। लेकिन मेरी सोच थी कि महिलाओं को यह ड्रोन देकर लोगों की मानसिकता बदलनी है। जिन गांवों में लोग ट्रैक्टर चलाती बेटी को देखकर हैरानी से भर जाते हैं, वहां जब बेटी ड्रोन चलाएगी तो कितना सकारात्मक असर होगा।

स्टार्टअप्स की भी चर्चा
पीएम मोदी ने अपने गुजरात के वक्त का भी वाकया साझा किया। उन्होंने बताया कि गुजरात में रहने के दौरान उन्होंने आशाओं और आंगनवाड़ी के लिए काम करने वाली महिलाओं की ड्रेस चेंज किया। पीएम ने कहाकि मैंने कहा था कि इनके ड्रेस एयरहोस्टेस से भी अच्छा होना चाहिए। इसका नतीजा यह हुआ जब यह महिलाएं गांव में निकलती थीं तो लोग सोचते थे कि सरकार आ गई। इसके बाद अलावा पीएम मोदी ने दो लाख गोदाम बनाने का भी जिक्र किया, जिसमें अन्न रखे जाएंगे। पीएम मोदी ने कहाकि 10 साल पहले इक्के-दुक्के स्टार्टअप्स होते थे। तब स्टार्टअप के नाम पर बेंगलुरु का ही ध्यान आता था। आज देश के 600 जिलों में स्टार्टअप है। देश के छोटे शहरों के नौजवान बड़े स्तर पर स्टार्टअप की अगुवाई कर रहे हैं।

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