युद्ध के बीच भारत आना चाहते हैं यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की, NSA लेवल पर चल रही बात

रूस के साथ जारी युद्ध के बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति ने भारत आने की इच्छा जताई है। यूक्रेनी पक्ष का कहना है कि इस वर्ष के अंत में यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोदिमिर जेलेंस्की भारत की यात्रा कर सकते हैं और इस संबंध में उन्होंने भारतीय पक्ष के साथ गहरी रुचि व्यक्त की है।इस प्रस्तावित यात्रा को लेकर चर्चा फिलहाल शुरुआती दौर में है। अगर यह यात्रा सफल होती है, तो यह एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी क्योंकि पिछले साल यूक्रेन में युद्ध शुरू होने के बाद यह किसी यूक्रेनी राष्ट्रपति की भारत की पहली यात्रा होगी।WION की रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रपति जेलेंस्की की भारत यात्रा के मसले पर भारतीय पक्ष के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) स्तर सहित कई स्तरों पर चर्चा की गई है। इसके तहत, यूक्रेन के राष्ट्रपति के कार्यालय के प्रमुख एंड्री यरमक और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल विचार-विमर्श में लगे हुए हैं। बता दें कि भारत ने लगातार रूस-यूक्रेन संघर्ष को हल करने के प्राथमिक साधन के रूप में बातचीत और कूटनीति की वकालत की है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ लहजे में कहा है कि “यह युद्ध का युग नहीं है।” भारत ने यूक्रेन में जारी युद्ध के दुष्परिणामों की ओर भी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है जिसके चलते भोजन, ईंधन और उर्वरक जैसी आवश्यक वस्तुओं की कीमतें बढ़ गई हैं। इससे न केवल भारत बल्कि वैश्विक समुदाय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।गौरतलब है कि भारत ने हाल ही में G20 की अध्यक्षता की है। हालांकि पिछले वर्ष इंडोनेशिया के विपरीत, यूक्रेन को G20 शिखर सम्मेलन की कार्यवाही में भाग लेने के लिए औपचारिक रूप से आमंत्रित नहीं किया गया था। बहरहाल, दोनों देशों के बीच निरंतर बातचीत जारी है। इस साल की शुरुआत में, भारत के विदेश मंत्रालय के सचिव (पश्चिम) संजय वर्मा ने कीव का दौरा किया था, जबकि यूक्रेन की पहली उप विदेश मंत्री एमिन दज़ापरोवा ने दिल्ली की राजनयिक यात्रा की थी। ये बातचीत यूक्रेन संघर्ष की शुरुआत के बाद से दोनों देशों के बीच पहली सरकार-से-सरकारी यात्राओं का प्रतीक है। इस साल की शुरुआत में एक महत्वपूर्ण राजनयिक जुड़ाव में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने हिरोशिमा में जी7 शिखर सम्मेलन के मौके पर मुलाकात की। अपनी बैठक के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने यूक्रेन संघर्ष के गहरे वैश्विक प्रभाव पर प्रकाश डाला।पश्चिमी देशों के दबाव के बावजूद भारत और रूस के रिश्ते मधुर बने हुए हैं। हाल ही में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत और रूस के संबंध ‘बहुत, बहुत ज्यादा स्थिर’ बने हुए हैं और संबंध ऐसे ही बने रहे, यह सुनिश्चित करने के लिए ‘हम काफी सावधानी बरतते हैं’। विदेशी संबंधों से जुड़ी एक परिषद में बातचीत के दौरान जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि फरवरी 2022 में यूक्रेन में युद्ध के कारण रूस के यूरोप तथा पश्चिमी देशों के साथ संबंधों पर ‘इतना गंभीर असर’ पड़ा है कि वह अब वास्तव में एशिया तथा दुनिया के अन्य हिस्सों की ओर हाथ बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘भारत-रूस के रिश्ते वास्वत में बहुत ज्यादा स्थिर हैं।’’ उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच रिश्ते सोवियत काल और सोवियत के बाद के काल से बने हुए हैं।

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