मिजोरम में किसकी सरकार? MNF का दबदबा या कांग्रेस मारेगी बाजी, ओपिनियन पोल ने चौंकाया

मिजोरम की सभी 40 विधानसभा सीटों पर 7 नवंबर को मतदान होना है। इसके बाद 3 दिसंबर को नतीजे घोषित किए जाएंगे। मिजोरम में चुनावी तारीखों का ऐलान होते ही एबीपी न्यूज ने सी-वोटर का ओपिनियन पोल जारी कर दिया है।इसके मुताबिक राज्य में इस बार किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिलता नहीं दिख रहा है। दरअसल, 40 विधानसभा सीटों वाले इस राज्य में सरकार बनाने के लिए 21 सीटें चाहिए। मगर ओपिनियन पोल में बताया गया है कि 2023 के इलेक्शन में कोई भी पार्टी इस जादुई आंकड़े को नहीं छू पाएगी। राज्य में मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरती नजर आ रही है जिसे इस बार 13-17 सीटें मिल सकती हैं।अगर कांग्रेस की बात करें तो मिजोरम में उसका प्रदर्शन अच्छा रह सकता है मगर एमएनएफ से पीछे ही रहने वाली है। ओपिनियन पोल की मानें तो राज्य में इस साल के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 10-13 सीटें मिल सकती हैं। ये आंकड़े निश्चित तौर पर कांग्रेस को निराश करने वाले हैं। मिजोरम में नए राजनीतिक दल जोरम पीपुल्स मूवमेंट (ZPM) के उभरने से राजनीतिक समीकरण बदलता दिख रहा सकता है। एबीपी न्यूज-सी वोटर के ओपिनियन पोल में बताया गया कि ZPM को 9-13 सीटें मिलने की उम्मीद है। इसके अलावा अन्य के खाते में 1-3 सीटें जा सकती हैं जो कि सरकार गठन में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

संतोषजनक नहीं दिख रहा कांग्रेस का प्रदर्शन
बता दें कि मिजोरम विधानसभा चुनाव के लिए 13 अक्टूबर को अधिसूचना जारी की जाएगी और 20 अक्टूबर को नामांकन दाखिल किए जा सकेंगे। नामांकन पत्रों की छानबीन 21 अक्टूबर को होगी और 23 अक्टूबर को नॉमिनेशन लेटर वापस लिए जा सकेंगे। मिजोरम विधानसभा का कार्यकाल 17 दिसंबर को खत्म होगा। इस पूर्वोत्तर राज्य में मिजो नेशनल फ्रंट सत्ता में है। पिछले विधानसभा चुनाव में मिजो नेशनल फ्रंट ने 26 सीटें जीती थीं तो जोराम पीपुल्स मूवमेंट को 8 और कांग्रेस को 5 सीटें हासिल हुई थीं। इस तरह ओपिनियन पोल में सत्ताधारी MNF को इस बार बड़ा नुकसान होता दिख रहा है। कांग्रेस के प्रदर्शन में कुछ सुधार तो जरूर हुआ है मगर सरकार बनाने के लिए काफी नहीं है।

MNF लगातार दूसरे कार्यकाल की जुगत में
गौरतलब है कि मिजोरम कई वर्षों के उग्रवाद के बाद 1987 में अलग राज्य बना था और तब से यहां या तो एमएनएफ की सरकार रही है या कांग्रेस की। मुख्यमंत्री जोरमथांगा की अगुवाई वाला सत्तारूढ़ एमएनएफ 2023 के विधानसभा चुनाव में लगातार दूसरी बार सत्ता में आने के लिए प्रयासरत है। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की ओर से 1987 में मिजो शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद मिजोरम राज्य अस्तित्व में आया। राज्य बनने के बाद से एमएनएफ ने 3 बार राज्य में शासन किया है, जबकि इसकी प्रमुख प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस 4 बार सत्ता में रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जोरमथांगा नीत पार्टी को राज्य की महत्वाकांक्षी ‘सामाजिक-आर्थिक विकास नीति’ के तहत वित्तीय सहायता के वितरण, म्यांमार, बांग्लादेश और मणिपुर से आए शरणार्थियों व विस्थापित लोगों को संभालने के तरीके के कारण प्रतिद्वंद्वियों पर बढ़त मिल सकती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *