इलेक्शन कमीशन ने लोकसभा चुनाव के पहले 5 चरणों के मतदान को लेकर मतदाताओं की पूरी संख्या जारी कर दी है। आयोग ने कहा कि उसने अपने वोटर टर्नआउट डेटा जारी करने के प्रारूप का विस्तार करने का फैसला लिया है।साथ ही, ईसी सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले से पूरी तरह मजबूत महसूस कर रहा है, जिसमें चुनाव आयोग को अपनी वेबसाइट पर सभी मतदान केंद्रों पर वोटिंग के अंतिम आंकड़े जारी करने का निर्देश देने की याचिका खारिज कर दी गई। इस नए फॉर्मेट में प्रत्येक संसदीय क्षेत्र में मतदाताओं की पूरी संख्या शामिल की जाएगी। पोल पैनल ने यह आश्वासन दिया कि डाले गए वोटों की संख्या में कोई भी बदलाव असंभव है।रिपोर्ट के मुताबिक, लोकसभा चुनाव के लिए 5 चरणों की वोटिंग का डेटा कुछ इस प्रकार से है। आयोग ने कहा कि पहले चरण में कुल मिलाकर 66.14 प्रतिशत, दूसरे चरण में 66.71 प्रतिशत और तीसरे चरण में 65.68 प्रतिशत मतदान हुआ। इसके बाद चौथे चरण में 69.16 प्रतिशत और 5वें चरण में 62.20 प्रतिशत वोटिंग दर्ज की गई। वहीं, मतदान के आंकड़ों में हेराफेरी किए जा सकने के तर्क को खारिज करते हुए ईसी के सूत्रों ने शुक्रवार को बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि एक बार फॉर्म 17 सी उम्मीदवारों को सौंप दिया जाता है और EVM को स्ट्रॉन्ग रूम में जमा किया जाता है तो आंकड़ों के साथ छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है।
फॉर्म 17 सी में मतदान केंद्र पर डाले गए वोटों का रिकॉर्ड
फॉर्म 17 सी में हरेक मतदान केंद्र पर डाले गए मतों का रिकॉर्ड होता है। यह उम्मीदवारों या उनके एजेंटों को तब दिया जाता है जब ईवीएम को स्ट्रॉन्ग रूम में ले जाने से पहले सील कर दिया जाता है। वे लोकसभा चुनाव के दौरान वेबसाइट पर मतदान केंद्र के आधार पर मतदान आंकड़ा अपलोड करने के लिए NGO की याचिका पर निर्वाचन आयोग को निर्देश जारी नहीं करने के SC के फैसले से संबंधित सवालों का जवाब दे रहे थे। अधिकारी ने बताया कि अगर काल्पनिक स्थिति में प्रति मतदान केंद्र 4 उम्मीदवारों को फॉर्म 17 सी दिया जाता है, तो भी 42 लाख से अधिक लोगों के पास यह दस्तावेज होगा क्योंकि 10.5 लाख मतदान केंद्र हैं। विभिन्न राजनीतिक दलों के 42 लाख लोगों को कैसे मूर्ख बनाया जा सकता है और आंकड़ों में हेराफेरी की जा सकती है।