किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने शनिवार को कहाकि ‘दिल्ली चलो’ मार्च में भाग ले रहे किसान अपनी मांगें पूरी होने तक आंदोलन खत्म नहीं करेंगे। उन्होंने यह संकेत भी दिया कि लोकसभा चुनावों के लिए आदर्श आचार संहिता लागू हो जाने के बाद भी किसानों का आंदोलन जारी रहेगा।हजारों किसान हरियाणा से लगी पंजाब की खनौरी और शंभू सीमाओं पर अपनी ट्रैक्टर-ट्रॉलियों और ट्रकों के साथ डेरा डाले हुए हैं। इससे पहले, फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सहित विभिन्न मांगों के लिए केंद्र पर दबाव बनाने के वास्ते उनके दिल्ली मार्च को सुरक्षा बलों द्वारा रोक दिया गया था।
दो दिन रुका था प्रोटेस्ट
बीते बुधवार को संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) के नेतृत्व में ‘दिल्ली चलो’ मार्च को खनौरी में हुई झड़प में एक प्रदर्शनकारी किसान की मौत हो जाने और लगभग 12 पुलिस कर्मियों के घायल होने के बाद किसान नेताओं ने दो दिनों के लिए रोक दिया था। यह घटना उस वक्त हुई, जब कुछ प्रदर्शनकारी बैरिकेडिंग की ओर बढ़ने की कोशिश कर रहे थे। शंभू सीमा पर पत्रकारों से बात करते हुए किसान नेता पंधेर ने कहा कि वह 29 फरवरी को अपने अगले कदम की घोषणा करेंगे।
आचार संहिता को लेकर चिंतित नहीं
पंधेर ने कहाकि यह निश्चित है कि यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक (हमारी) मांगें पूरी नहीं हो जाती। अगर वे (केंद्र) कल हमारी मांगें मान लेते हैं, तो हम आंदोलन पर कोई निर्णय लेंगे। निर्वाचन आयोग द्वारा लोकसभा चुनावों के कार्यक्रम की घोषणा करने पर आदर्श आचार संहिता लागू होने के बारे में पंधेर ने कहा कि हमें सांसदों को टिकट नहीं बांटना है। इसलिए, हमें आदर्श आचार संहिता के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है। हम मतदान केंद्रों पर प्रचार नहीं करने जा रहे हैं। किसान नेता ने कहाकि हम (आचार संहिता को लेकर) चिंतित नहीं हैं। हमें लगता है कि आदर्श आचार संहिता लागू होने पर भी आंदोलन जारी रह सकता है।
तय होगी आगे की रणनीति
किसान नेताओं के अनुसार, प्रदर्शनकारी 29 फरवरी तक दोनों प्रदर्शन स्थलों पर डेरा डाले रहेंगे, जब आगे की रणनीति तय की जाएगी। गतिरोध खत्म करने के लिए किसान नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के बीच चार दौर की बातचीत बेनतीजा रही है। पंजाब के किसान स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली की दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं करने, पुलिस में दर्ज मामलों को वापस लेने, 2021 की लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए ‘न्याय’, भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को बहाल करने और 2020-21 के आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की भी मांग कर रहे हैं।