संसद का शीतकालीन सत्र शुक्रवार को तय समय से तीन दिन पहले ही समाप्त कर दिया गया। वहीं विपक्षी सांसदों के निलंबन के मामले में विपक्षी दलों का कहना है कि यह सरकार बिना विपक्ष के ही सारे संसदीय कार्य निपटाना चाहती है।संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि लोकसभा में सुरक्षा में चूक होने के बाद से ही विपक्ष राज्यों के चुनाव में हुई हार का बदला लेने लगा औऱ वह संसद की कार्यवाही नहीं चलने देना चाहता था। उन्होंने का कि विपक्ष के सांसद खुद कह रहे थे कि उन्हें सस्पेंड कर दिया जाए।जोशी ने कहा, हम उन्हें संस्पेंड नहीं करवाना चाहते ते। हमने हर तरह से उन्हें मनाने का प्रयास किया। पहले दिन जब कुछ सांसद सस्पेंड हुए तो सभी खुद को सस्पेंड करने की मांग करने लगे। यह कांग्रेस पार्टी का स्तर है। जोशी ने कहा कि पहले दिन 13 सांसद सस्पेंड किए गए। इसके बाद सरकार ने विपक्ष से कहा कि अगर अब सदन की कार्यवाही ठीक से चलेगी तो उनका सस्पेंशन वापस ले लिया जाएगा। इसके बाद विपक्ष ने और जोरदार हंगामा किया। वे पूरी तरह से सरकार का ध्यान बांटना चाहते थे और राज्यों में हुई हार का बदला लेने के मूड में थे।जोशी ने कहा कि सुरक्षा में चूक मामले के बाद भी विपक्षी सांसद 40 मिनट तक चर्चा में शामिल थे। इसके बाद उनको निर्देश मिला कि हंगामा शुरू करना है। केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल ने कहा कि विपक्ष ने सदन की कार्यवाही बाधित करने के लिए साजिश की थी। बता दें कि शीतकालीन सत्र के दौरान 146 सांसदों को निलंबनित कर दिया गया था। सदन में विपक्षी दलों की ज्यादातर सीटें खाली हो गई थीं। निलंबित होने वाले सांसदों में शशि थरूर, फारूक अब्दुल्ला, सुप्रिया सुले और जयराम रमेश भी शामिल थे।कुछ नेताओं ने यह भी कहा कि यह निलंबन उनके लिए सम्मान की बात है। प्रह्लाद जोशी नेक कहा कि कांग्रेस के लोग संविधान में विश्वास नहीं रखते। ये टुकड़े टुकड़े गैंग का समर्थन करते हैं और आर्टिकल 370 को लागू करने की बात करते हैं। यहां तक कि वे आतंकी अफजल गुरु के प्रति भी सवालिया व्यवहार रखते हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष के सांसदों में अब इतनी भी मर्यादा नहीं रही कि वह उपराष्ट्रपति का सम्मान करें। वे सदन में भी सभापति की मिमिक्री करने लगे हैं।