ईडी से बचने के लिए करीब 40 घंटे तक गायब रहने के बाद प्रगट हो चुके हैं। अब वह रांची में विधायकों के साथ बैठक कर रहे हैं, जिसमें चर्चा है कि उनकी पत्नी कल्पना सोरेन को नया मुख्यमंत्री बनाने पर बात हो रही है।अब इसमें सच्चाई कितनी है यह तो वक्त बताएगा। इस कदम से वह सत्ता का केंद्र अपने पास तो रख लेंगे, लेकिन एक सच यह भी है कि भाजपा को हमलावर होने का एक और मुद्दा दे देंगे। यह मुद्दा है परिवारवाद का। गौरतलब है कि भाजपा विपक्ष के खिलाफ परिवारवाद को लेकर काफी आक्रामक रही है।
परिवारवाद पर हमलावर भाजपा
भारतीय जनता पार्टी और पीएम मोदी भ्रष्टाचार और परिवारवाद को एक दूसरे का पूरक बताकर विपक्ष पर हमले करते रहे हैं। कांग्रेस से लेकर आरजेडी समेत कई विपक्षी दल इस क्रम में उनके निशाने पर रहे हैं। हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने भी परिवारवाद का उदाहरण दिया था। उन्होंने कहा था कि परिवारवाद ने देश के युवाओं का रास्ता रोका था। पिता शीबू सोरेन के पदचिन्हों पर चलकर सीएम की कुर्सी पर बैठे हेमंत सोरेन पहले भी इस तरह के हमले झेल चुके हैं। ऐसे में अगर उनकी पत्नी कल्पना सीएम बनती हैं तो पहले से ही मुश्किलों से जूझ रहे हेमंत सोरेन को परिवारवाद के मुद्दे पर घिर जाएंगे
सत्ता सोरेन परिवार से बाहर नहीं
बता दें कि सोरेन परिवार में परंपरा है कि सत्ता परिवार के बाहर नहीं जाती है। यह बात साल 2009 में भी देखने को मिली थी जब हेमंत सोरेन के पिता शीबू सोरेन ने उपचुनाव में हार के बाद इस्तीफा दे दिया था। 81 सदस्यों वाले विधानसभा में तब शीबू सोरेन ने यूपीए के साथ सरकार बनाई थी। इसमें जेएमएम के पास 17, कांग्रेस 9 और आरजेडी के 7 विधायक थे। छह महीने के अंदर विधायक चुनाव जीतने की शर्त पूरी नहीं करने पर उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। वह तमाड़ सीट पर झारखंड पार्टी के उम्मीदवार से हार गए थे। लंबे समय तक सत्ता हस्तांतरण के लिए बातें चलीं। शीबू सोरेन पार्टी विधायक चंपई सोरेन को सीएम बनाने पर राजी हुए, लेकिन कांग्रेस ने उनका प्रस्ताव ठुकरा दिया था। अंतत: झारखंड में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा था और फिर तकरीबन एक साल के बाद यहां पर चुनाव हुआ था।