ईरान और जर्मनी के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है. जर्मनी ने ईरान से अपने राजदूत को वापस बुला लिया है, साथ ही बर्लिन में मौजूद ईरानी प्रभारी को समन कर जर्मन सरकार ने कड़ा ऐतराज जताया है.
दरअसल ईरान ने जमशेद शर्महद नाम के एक शख्स को फांसी पर लटका दिया है, जो कि ईरानी-जर्मनी नागरिक थे. ईरान की इस कार्रवाई को लेकर जर्मनी ने अपनी नाराजगी जताई है और ईरान को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी है.
शर्महद की फांसी का जताया विरोध
जर्मनी के विदेश मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट कर कहा है कि, ‘हमने ईरान की कार्रवाई के खिलाफ कड़ा विरोध जताया है और आगे किसी भी तरह की कार्रवाई करने के लिए अपना अधिकार सुरक्षित रखते हैं.’तेहरान में जर्मनी के राजदूत ने ईरान के विदेश मंत्रालय जाकर जमशेद शर्महद की हत्या के खिलाफ मजबूती से विरोध दर्ज कराया. इसके अलावा जर्मन विदेश मंत्री अन्नालेना बैरबॉक ने बाद में राजदूत को परामर्श के लिए बर्लिन वापस बुला लिया.
ईरानी विदेश मंत्री का जर्मनी पर पलटवार
वहीं ईरान के विदेश मंत्री सैयद अब्बास अराघची ने भी जर्मनी के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा है कि ईरान की धरती पर किसी भी आतंकी को माफी नहीं दी जा सकती, चाहे उसे जर्मनी समर्थन करता हो. अराघची ने कहा है कि, ‘शर्महद ने ईरान की एक मस्जिद में आतंकी हमले को अंजाम दिया था जिसमें 14 बेगुनाहों की जान चली गई थी. उन्होंने कहा कि जर्मन पासपोर्ट किसी आतंकी को दण्ड से मुक्त होने की आजादी नहीं देता है, आतंकी को अपराधी ही रहने दें.’
अराघची ने जर्मनी पर गाजा में इजराइली नरसंहार का साथ देने का आरोप लगाते हुए कहा कि जर्मनी, इजराइल को घातक हथियार मुहैया कराने वाला दूसरे नंबर का देश है. उन्होंने जर्मनी की विदेश मंत्री को संबोधित करते हुए लिखा है कि अपने आस-पास देखिए आपके अपने लोग भी आपके अहंकारी मानवाधिकार दावों का उपहास करते हैं.
कौन थे जमशेद शर्महद?
जमशेद शर्महद का जन्म 1955 में तेहरान में हुआ था, वह जर्मनी के पश्चिमी शहर हैनोवर में पले-बढ़े. शर्महद के पास ईरान और जर्मनी दोनों देशों की नागरिकता थी. सॉफ्टवेयर डेवलपर के तौर पर जब वह काम कर रहे थे तो 2007 में एक साइबर अटैक के दौरान उनका एक ऐसी वेबसाइट से कनेक्शन सामने आया जो हिंसा समेत किसी भी तरीके से ईरान की सरकार को उखाड़ फेंकने का समर्थन करती थी.
शर्महद लंबे समय तक अमेरिका के कैलिफोर्निया में रह चुके हैं, आरोप है कि ईरान ने 2020 में उन्हें दुबई से किडनैप कर तेहरान ले आए थे. जिसके बाद उन्हें ईरान के इस्लामिक कानून के मुताबिक ‘करप्शन ऑन अर्थ’ के आरोपों में साल 2023 में मौत की सज़ा सुनाई गई. सोमवार को ईरान ने शर्महद को फांसी पर लटका दिया जिसे लेकर जर्मनी ने कड़ा विरोध जताया है.