यूपी में इंडी गठबंधन में शामिल समाजवादी पार्टी और कांग्रेस में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। दोनो पार्टियां अपने कार्यक्रमों में एकजुटता का संदेश देने से चूक रही हैं।खासतौर से सपा की तरफ से कांग्रेस को बहुत ज्यादा तवज्जो नहीं देने की बात सामने आई है। यूपी कांग्रेस के होली मिलन समारोह में न्योता मिलने के बाबजूद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कार्यक्रम से दूरी बनाई।
कांग्रेस के कार्यक्रमों में नहीं पहुंचे अखिलेश
कांग्रेस के रोजा इफ्तार को लेकर भी अखिलेश का वही रुख रहा। वह रोजा इफ्तार के कार्यक्रम में भी नहीं पहुंचे। जहा इंडी गठबंधन को एक साथ आकर मजबूती का संदेश देना चाहिए वहीं सपा, कांग्रेस की अनदेखी कर यूपी में गठबंधन का मतलब सिर्फ सपा का संदेश दे रही है। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस को यूपी में प्रत्याशी तलाशने में बहुत मशक्कत करनी पड़ी है। अभी तक अमेठी और रायबरेली जैसी महत्वपूर्ण सीट पर भी स्थिति साफ नही है।
कांग्रस की लिस्ट में मजबूत प्रत्याशी नहीं
सूत्रों का कहना है कि अगर गांधी परिवार इन दोनों सीटों से चुनाव नही लड़ता है तो उस स्थिति में पार्टी के पास कोई मजबूत प्रत्याशी वहा चुनाव लड़ने के लिए नहीं है। सपा ने यूपी में कांग्रेस को चुनाव लड़ने के लिए 17 सीटें दी हैं लेकिन अभी तक कांग्रेस की जो सूची आई है उस लिस्ट में भी कोई मजबूत प्रत्याशी नहीं है।
यूपी में गठबंधन केवल सांकेतिक?
दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस के हिस्से वाली सीटों पर कमजोर प्रत्याशियों के उतारने से सपा की स्थानीय इकाइयां भी विरोध कर रही हैं। ऐसे में यूपी में गठबंधन सिर्फ सांकेतिक नजर आ रहा है। सपा के रुख से साफ है कि कांग्रेस के साथ उसने यह गठबंधन केवल मुस्लिम वोट बैंक को अपने साथ रोके रखने के लिए किया है।
असमंजस में कांग्रेस
उत्तर प्रदेश में इस बार मुख्य मुकाबला भाजपा और इंडी गंठबंधन के बीच है। भाजपा ने अब तक यहां की 90 फीसदी सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं, अगले कुछ दिनों में बाकी बची सीटों के लिए भी वह प्रत्याशियों की घोषणा कर देगी लेकिन इंडी गठबंधन में शामिल सपा भी प्रत्याशियों की घोषणा में आगे है लेकिन कांग्रेस उम्मीदवारों को लेकर असमंजस की स्थिति में है। जानकारों का मानना है कि उम्मीदवार के नामों की घोषणा नहीं होने से चुनाव की इस रेस में कांग्रेस और पिछड़ती जा रही है।