भारत के साथ जारी राजनायिक विवाद के बीच कनाडा को अब एक और देश का समर्थन मिला है। हम बात कर रहे हैं न्यूजीलैंड की। दरअसल न्यूजीलैंड एकमात्र “फाइव आइज” देश था जिसने भारत के साथ राजनयिक विवाद में सार्वजनिक रूप से कनाडा का समर्थन नहीं किया था।
लेकिन अब न्यूजीलैंड ने भी राजनयिकों के निष्कासन पर कनाडा का समर्थन किया है।
न्यूजीलैंड के विदेश कार्यालय ने एक बयान में कहा कि अब वक्त ज्यादा से ज्यादा कूटनीति का आ गया है। इसने कहा, “हम इस बात से चिंतित हैं कि भारत ने कनाडा से अपनी राजनयिक उपस्थिति कम करने की मांग की है। इसके कारण बड़ी संख्या में कनाडाई राजनयिक भारत से चले गए हैं। अब लगता है कि कम नहीं, बल्कि अधिक कूटनीति का समय आ गया है।”
क्या-क्या बोला न्यूजीलैंड
बयान में कहा गया है, “हम उम्मीद करते हैं कि सभी देश राजनयिक संबंधों पर 1961 वियना कन्वेंशन के तहत अपने दायित्वों को बरकरार रखेंगे, जिसमें मान्यता प्राप्त कर्मचारियों के विशेषाधिकार और प्रतिरक्षा भी शामिल है।” न्यूजीलैंड का विदेश कार्यालय आमतौर पर इस तरह से टिप्पणी नहीं करता है। न्यूजीलैंड ने इस साल जून में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के संबंध में पिछले महीने कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो के आरोपों पर भी शांति बनाए रखी थी।
ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों ने बताया कि “फाइव आइज” में से तीन देश भारतीय खुफिया सेवाओं और एनएसए अजीत डोभाल को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश कर रहे थे। ये देश कथित तौर पर कनाडा, अमेरिका और ब्रिटेन हैं। हालांकि दो अन्य देशों ने इससे इनकार किया। ये देश न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया हैं। ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड को लगा कि इस मुद्दे पर बार-बार सार्वजनिक बयान देने से कोई अन्य उद्देश्य पूरा नहीं होगा।
क्या है फाइव आइज? न्यूजीलैंड-ऑस्ट्रेलिया को बोलने के लिए कहा गया
बता दें कि फाइव आइज एक खुफिया गठबंधन है। जिसमें ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका शामिल हैं। ये देश बहुपक्षीय यूके-यूएसए समझौते के पक्षकार हैं, जो सिग्नल इंटेलिजेंस में संयुक्त सहयोग के लिए एक संधि है। यानी ये फाइव आइज देश एक दूसरे से खुफिया सूचनाएं आदि साझा करने के लिए गठबंधन का हिस्सा हैं। इसे दुनिया में सबसे व्यापक निगरानी नेटवर्क कहा जाता है।
दिलचस्प बात यह है कि कई दिनों तक चुप रहने के बाद, पिछले हफ्ते अमेरिका में फाइव आइज के खुफिया प्रमुखों की बैठक के बाद न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया भी भारत की आलोचना में अमेरिका और ब्रिटेन के साथ शामिल हो गए। चीन की आलोचना करने के लिए हुई इस बैठक के दौरान न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया को भारत-कनाडा विवाद पर बोलने के लिए कहा गया था।
ब्रिटेन और अमेरिका ने दिया कनाडा का साथ
इससे पहले ब्रिटेन और अमेरिका ने कनाडा के 41 राजनयिकों के भारत से वापस जाने पर चिंता व्यक्त की थी। ब्रिटेन ने कहा कि वह भारत सरकार के उन फैसलों के प्रति असहमति व्यक्त करता है, जिन्हें वह एक सिख अलगाववादी की हत्या को लेकर दोनों देशों (भारत और कनाडा) के बीच जारी गतिरोध के मद्देनजर राजनयिकों की वापसी की वजह मानता है।
ब्रिटेन के विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय (एफसीडीओ) के एक बयान में शुक्रवार को कहा गया कि इस कदम से राजनयिक संबंधों को लेकर वियना संधि के प्रभावी क्रियान्वयन पर असर पड़ा है। वहीं, अमेरिकी विदेश विभाग ने इस बात पर जोर दिया कि मतभेदों को सुलझाने के लिए जमीनी स्तर पर राजनयिकों की आवश्यकता होती है।
कनाडा ने 41 राजनयिकों को वापस बुला लिया
इससे पूर्व, कनाडा ने कहा कि उसने सिख अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की जून में हुई हत्या में भारतीय एजेंट की संलिप्तता के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के दावों पर तनावपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों के बीच राजनयिकों का दर्जा एकतरफा रद्द करने के संबंध में भारत की चेतावनी के बाद 41 राजनयिकों को वापस बुला लिया है।
नई दिल्ली में, विदेश मंत्रालय ने निज्जर के मारे जाने की घटना में भारतीय एजेंट के शामिल होने के आरोप को सिरे से खारिज कर दिया है और राजनयिकों की वापसी के संबंध में वियना संधि के किसी उल्लंघन से भी इनकार किया है। विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘हम समानता के कार्यान्वयन को अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के उल्लंघन के रूप में पेश करने के किसी भी प्रयास को खारिज करते हैं।’’