7 अक्टूबर को हमास लड़ाकों के इजरायल पर हमले से शुरू हुई जंग में इजरायली सैनिकों ने गाजा पट्टी पर मुसीबतों की बारिश कर रखी है, तो दूसरी तरफ हमास के हमलों में इजरायली पक्ष की तरफ से लड़ रहे चार बदूईन मुसलमान सैनिक मारे गए हैं।
हमास लड़ाकों ने अरब मूल के कई बदूईन मुस्लिम सैनिकों को बंधक भी बना रखा है। इस बीच, सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें हमास लड़ाकों के खिलाफ मोर्चा संभालने वाले अशरफ नाम के एक बदूईन कमांडर के प्रति स्थानीय इजरायली नागरिक आभार व्यक्त कर रहे हैं।
बदूईन खानाबदोश अरब मुस्लिम लोग हैं, जो मुख्य रूप से दक्षिणी इजरायल के नेगेव रेगिस्तान में रहते हैं। वे परंपरागत रूप से बिना किसी शक्तिशाली या विशिष्ट राष्ट्रीय संबद्धता वाले खानाबदोश चरवाहे रहे हैं, जो लगभग डेढ़ शताब्दी पहले तक अपने पशुओं के साथ सऊदी अरब और सिनाई के बीच के क्षेत्र में घूमते थे। हमास ने इनके ठिकानों पर दक्षिणी इजरायल में भी हमले बोले हैं, जिसका इस खानाबदोश प्रजाति पर बुरा असर पड़ा है।
इजरायल में मुख्य रूप से अरब बदूईन के शहर राहत के मेयर ने कहा कि हमास के आतंकी हमले में 19 बदूईन मुसलमान मारे गए हैं। हाल ही में वॉशिंगटन पोस्ट ने अता अबू मेदियाम के हवाले से कहा था कि हमास के हमले में कई लोग घायल हुए हैं, जिन्हें उन्हें गाजा ले जाया गया है। मेदियाम ने कहा, “हम पीड़ित हैं। हमारे पास आश्रय स्थल नहीं हैं।” उन्होंने आरोप लगाया कि इजरायल ने लंबे समय से बदूईन अरबों को छोड़ दिया है।
कौन हैं बदूईन मुसलमान?
बदूईन अरब दक्षिणी इजरायल के नेगेव रेगिस्तान में रहने वाले एक खानाबदोश जनजाति है जो मुख्य रूप से फ़िलिस्तीनी अरब के रूप में पहचान रखते हैं लेकिन अपने खानाबदोश जीवन शैली की वजह से वो बदूईन कहे जाते हैं। अरबी भाषा में बदूईन का मतलब खानाबदोश होता है। यह बद्दू शब्द से बना है। United Nations High Commissioner for Refugees (UNHCR) के अनुसार, 1947 में इजरायल के अस्तित्व में आने से पहले नेगेव इलाके में 92,000 बदूईन रहने का अनुमान लगाया गया था लेकिन 1948 में इजरायल की स्थापना के बाद वहां इनकी संख्या केवल 11,000 ही बची रह गई।
इनमें से ज्यादातर लोग इजरायल के यहूदी देश बनने के बाद वहां से पलायन कर गए लेकिन जो लोग बचे रहे, उनके साथ कठोर व्यवहार किया गया। उन्हें बार-बार उखाड़ फेंका गया और पुनर्वास शिविरों में रहने के लिए मजबूर किया गया। लगभग डेढ़ शताब्दी पहले तक ये लोग अपने पशुओं के साथ सऊदी अरब और सिनाई के बीच के क्षेत्र में घूमते थे। फिलहाल इजरायल में लगभग 200,000 बदूईन मुसलमान हैं। इनमें ‘गैर-मान्यता प्राप्त 35 गांवों’ में रहने वाले लगभग 80,000-90,000 लोग भी शामिल हैं। इन पर इजरायली अधिकारियों द्वारा बेदखली या जबरन विस्थापन का लगातार खतरा बना रहता है।
बदूईन मुस्लिमों का विस्थापन
1948 में इजरायल के गठन के बाद, हजारों बदूईन, जिनके पास व्यक्तिगत और सांप्रदायिक भूमि स्वामित्व की स्पष्ट रूप से परिभाषित पारंपरिक प्रणाली के तहत भूमि थी, विस्थापित हो गए और दक्षिणी इजरायल के नेगेव में एक छोटे से क्षेत्र में रहने को मजबूर हो गए, जिसे ‘सियाग’ के नाम से जाना जाता है। इसे अरबी में ‘बाड़’ कहा जाता है।
इजराइयल की स्वतंत्रता की घोषणा के बाद 1948 में छिड़े गृहयुद्ध के दौरान और उसके तुरंत बाद, अधिकांश बदूईन मुस्लिमों को या तो इजरायल से निष्कासित कर दिया गया या हिंसा के डर से वे अपने घरों से भाग गए और जॉर्डन, सीरिया, वेस्ट बैंक और गाजा में जा बसे। इसके परिणामस्वरूप ही, नेगेव में बदूईन की आबादी 92,000 से घटकर 11,000 रह गई, जो उस क्षेत्र में रहने वाली मूल 95 जनजातियों में से केवल 19 का प्रतिनिधित्व करती है।
मानवाधिकारों का हनन
1948 और 1966 के बीच, इज़रायली सरकार ने 1953 के भूमि अधिग्रहण कानून सहित कई भूमि कानून बनाए, जिसने बदूईन को उनकी पैतृक भूमि से बेदखल कर दिया और सरकार को प्राकृतिक भंडार और सैन्य क्षेत्रों के लिए उनकी जमीनों पर कब्जा करने का अधिकार दे दिया। 1960 के दशक के दौरान, इजरायली सरकार ने नेगेव इलाके का विकास और शहरीकरण किया और 1960 के दशक के दौरान ही बदूईन मुस्लिमों को इस क्षेत्र में स्थानांतरित कर दिया।
बावजूद इसके वर्षों से, बदूईन आबादी मानवीय संकट का सामना कर रही है। यूएनएफपीए के अनुसार, इजरायली अधिकारियों ने उनके गांवों को मान्यता न देकर और पानी, बिजली और परिवहन जैसी बुनियादी सुविधाओं को रोककर उनके बुनियादी मानवाधिकारों को दबाने की धीमी और स्थिर प्रक्रिया अपनाई है।
इजरायल फौज में बदूईन अरब
1948 में इजरायल के गठन के बाद शुरुआत में फिलिस्तीनी जमीन पर यहूदी समूहों की सुरक्षा के लिए बदूईन समूहों को नियुक्त किया गया था। 1948-49 के अरब-इजरायल युद्ध के दौरान, कई बदूईन मुसलमानों ने यहूदी मिलिशिया और नवगठित इज़रायल रक्षा बल (IDF) को बहुमूल्य खुफिया जानकारी दी, और उनमें से कुछ ने यहूदियों के साथ अरब सेनाओं के खिलाफ लड़ाई भी लड़ी है। हाल के वर्षों में, बदूईन मुस्लिमों ने आईडीएफ के भीतर स्थापित बदूईन स्काउटिंग इकाइयों सहित कई इकाइयों में सेवा दे रहे हैं।
द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, इज़रायल ने 1993 में गैलील में एक पहाड़ी की चोटी पर बदूईन योद्धाओं के लिए एक स्मारक का उद्घाटन किया था, जिसे गार्डन ऑफ ब्रोकन हार्ट्स कहा जाता है, जिसमें देश की सेवा में अपनी जान गंवाने वाले 154 बदूईन सैनिकों के नाम अंकित हैं। इसके अलावा, बदूईन सैनिकों को आईडीएफ में शामिल होने के लिए अनिवार्य सेना प्रशिक्षण लेने से छूट दी गई है, क्योंकि उनमें से कई ऐसे परिवारों से आते हैं जिन्होंने सदियों से रक्षा सेवा की है। यही वजह है कि हमास लड़ाके उन्हें अपना दुश्मन मानते हैं।