हिमाचल प्रदेश में जारी सियासी संकट पर कांग्रेस को बड़ी राहत मिली है। विधानसभा में बुधवार को विपक्ष की अनुपस्थिति में हिमालय प्रदेश विनियोग विधेयक 2024 को पारित कर दिया गया। 15 भाजपा विधायकों के निष्कासन और अन्य 10 के वॉकआउट के बाद सुक्खू सरकार ने बजट को सदन से पास करा लिया और विधानसभा सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया है।इसके साथ ही सरकार के गिरने का खतरा फिलहाल टल गया है। हालांकि, खतरा बरकरार है और बागी गुट को मनाए जाने तक अनिश्चितता बनी रहेगी।बुधवार दोपहर भोजन के बाद विधानसभा की कार्यवाही आरंभ हुई। भाजपा के 15 निष्कासित विधानसभा सदन में नहीं आए। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही भाजपा के वरिष्ठ विधायक सतपाल सत्ती ने भाजपा के विधायकों के निष्कासन का मुदा सदन में उठाया। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सदन में कहा कि भाजपा विधायकों के निष्कासन के दौरान किए हंगामे के चलते इनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि हिमाचल में चाहे फौजी लगाओ, सीआरपीएफ लगाओ यह जनता को नहीं डरा सकते हैं। राज्यसभा चुनाव में भाजपा द्रव्य से जीती है, जिन्होंने नियमों को तोड़ा है उन पर कार्रवाई की जाए।
जिस पर विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि भाजपा के 15 विधायकों का निष्कासन किया गया है। इन विधायकों ने सदन की परंपराओं को तोड़ा है जो कि दुखद है। सदन में जो आज हंगामा हुआ है उसे पर जो भी नियमानुसार भविष्य में कार्रवाई की जाएगी। वहीं संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान सदन के स्थगित होने के बाद भी बैठे रहे और हो-हल्ला करते रहे। उन्होंने कहा कि यह नियमों के खिलाफ है और इस पर कार्रवाई होनी चाहिए। वहीं भाजपा विधायक सतपाल सती ने कहा कि सरकार अल्पमत में आ गई है। उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है कि 15 विधायकों को निलंबित किया गया है। उन्होंने कहा कि विपक्ष के 15 सदस्यों को निकाला गया है इसलिए हम भी सदन में नहीं रहना चाहते इसके साथ भाजपा सदन से बहिर्गमन कर गई।
इस बीच कांग्रेस पार्टी के पर्यवेक्षक भूपेंद्र सिंह हुड्डा और डीके शिवकुमार शिमला पहुंच गए हैं। दोनों नेता यहां कांग्रेस के सभी विधायकों से मुलाकात करेंगे और उनसे फीडबैक लेकर रिपोर्ट तैयार करेंगे। इस रिपोर्ट के आधार पर पार्टी हाईकमान की ओर से कुछ बड़ा फैसला किया जा सकता है। बागी गुट की ओर से नेतृत्व परिवर्तन की मांग भी उठाई गई है। बुधवार को ही पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के बेटे और सुक्खू सरकार के मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद पार्टी में दो खेमों में बंटती दिख रही है।
विक्रमादित्य सिंह ने अपने पिता को सम्मान नहीं दिए जाने और अपने अपमान का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि विधायकों की अनदेखी की वजह से यह नौबत आई है। हालांकि, उन्होंने भाजपा में शामिल होने की अटकलों को खारिज किया है। उन्होंने कहा, ‘अभी तक ऐसा कुछ नहीं है… मैं हमेशा जो भी कहता हूं वह तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर कहता हूं…ऐसा कुछ नहीं है, यह सब अफवाह है। मैं सच बोलता हूं और बिना राजनीतिक मिलावट के कहता हूं। जो भी हमें कहना होगा हम साफ तरह से कहेंगे।’