हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा की एक सीट के लिए फरवरी हुए चुनाव में भाजपा उम्मीदवार हर्ष महाजन की जीत का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। इस चुनाव में हार का सामना करने वाले कांग्रेस उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी ने हर्ष महाजन के निर्वाचन को चुनौती देते हुए याचिका दायर की है।याचिका में राज्यसभा चुनाव के नियमों की धारणा को भी चुनौती दी गई है। हाईकोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए इस मामले में शनिवार को हर्ष महाजन को नोटिस जारी कर दिया है। मामले की अगली सुनवाई 23 मई को निर्धारित हुई है। याचिकाकर्ता के वकील नीरज गुप्ता ने बताया कि कांग्रेस के राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवार रहे अभिषेक मनु सिंघवी की याचिका पर हाईकोर्ट में शनिवार को जस्टिस अजय मोहन गोयल की कोर्ट में सुनवाई हुई है। याचिकाकर्ता पक्ष की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने हर्ष महाजन को नोटिस जारी किया है। इस मामले में अगली सुनवाई 23 को होगी।
क्या है मामला
बता दें कि अभिषेक मनु सिंघवी 27 फरवरी को हुए राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार थे। इस चुनाव में भाजपा-कांग्रेस के उम्मीदवार को बराबर मत पड़े थे। इसके बाद पर्ची से भाजपा के हर्ष महाजन विजेता बने और अभिषेक मनु सिंघवी की हार हुई थी। हार के 40 दिन बाद अभिषेक मनु सिंघवी हिमाचल हाईकोर्ट पहुंचे और हर्ष महाजन के निर्वाचन को चुनौती देते हुए याचिका दाखिल की। सिंघवी के मुताबिक राज्यसभा चुनाव के दौरान एक समान मत पड़ने पर पर्ची जिस उम्मीदवार की निकलती है उसे हारा हुआ करार देना, यह धारणा कानूनी रूप से गलत है। आम तौर पर जिसका नाम निकलता है उसे जीतना चाहिए। ऐसे में अगर यह धारणा गलत है तो चुनाव परिणाम भी गलत है। कानून में ऐसा कोई नियम नहीं। इसलिए इस धारणा को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है।
कांग्रेस के छह विधायकों और तीन निर्दलीयों ने की थी क्रॉस वोटिंग
हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा चुनाव के दौरान नौ विधायकों की क्रॉस वोटिंग की वजह से यह सीट भाजपा के खाते में चली गई। 68 सदस्यीय हिमाचल विधानसभा में कांग्रेस के विधायकों की संख्या 40 होने के कारण कांग्रेस उम्मीदवार की जीत निश्चित थी। लेकिन कांग्रेस के छह विधायकों औऱ तीन निर्दलीय विधायकों ने भाजपा उम्मीदवार हर्ष महाजन को वोट किया और दोनों दलों के उम्मीदवारों को 34-34 वोट मिलने पर मामला अटक गया था। टाई होने के बाद ड्रा ऑफ लोटस से नाम निकाला गया जिसमें भाजपा के हर्ष महाजन को विजयी घोषित किया गया।