ज्ञानवापीः व्यासजी के तहखाने का क्या है विवाद, नंदी की मुराद होगी पूरी, कितना अहम है आज का फैसला?

वाराणसी में काशी विश्वाथ मंदिर से सटी ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े व्यासजी के तहखाने पर बुधवार को अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है। वाराणसी में जिला जज की अदालत ने व्यासजी के तहखाने में पूजा का अधिकार दे दिया है।हिन्दू पक्ष इसे राममंदिर का ताला खोलने जितना बड़ा फैसला मान रहा है। क्या सही में यह उतना ही बड़ा फैसला है? आखिर व्यासजी के तहखाने का विवाद क्या है? ज्ञानवापी में कहां पर यह स्थित है? ज्ञानवापी के अन्य मामलों से कितना इस मामले का जुड़ाव है? कहा जा रहा है कि इसके खुलने से नंदी की मुराद भी पूरी होगी। क्या है नंदी की मुराद? आइए विस्तार से जानते हैं।

व्यासजी का तहखाना काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के अंदर ही ज्ञानवापी के दक्षिणी दिशा में स्थित है। 1993 तक सोमनाथ व्यास का परिवार यहां पूजा पाठ करता था। अयोध्या में विवादित ढांचा ढहने के बाद ज्ञानवापी मस्जिद की सुरक्षा के लिए उसकी घेरेबंदी कर दी गई। लोहे की 25 से 30 फीट ऊंची-ऊंची बाड़ लगा दी गई। इससे तहखाना भी लोहे की बाड़ के अंदर आ गया। मस्जिद के मुख्य दरवाजे को छोड़कर इस बाड़ के अंदर कहीं से भी आने का रास्ता नहीं था। मस्जिद के गेट पर भी चेकिंग के बाद ही केवल नमाज अदा करने वालों को प्रवेश की इजाजत थी। सरकार या प्रशासन की तरफ से तहखाने में पूजा-पाठ की आधिकारिक रोक तो नहीं थी लेकिन लोहे की बाड़ के कारण पूजा-पाठ के लिए व्यास जी उसके बाद कभी अंदर नहीं जा सके।

व्यास जी का नाती पहुंचा अदालत
पिछले साल जब ज्ञानवापी शृंगार गौरी मामले में कई केस अदालतों में दायर हुए और सर्वे का आदेश हुआ तो सोमनाथ व्यास का परिवार भी तहखाने का मामला लेकर अदालत पहुंच गया। सोमनाथ व्यास के नाती शैलेंद्र कुमार पाठक ने सिविल जज सीनियर डिविजन की अदालत में याचिका दाखिल कर दी। उन्होंने याचिका में कहा कि तहखाने में उनके पूर्वज बकायदा पूजा करते थे। वर्तमान में नंदीजी की प्रतिमा के सामने स्थित तहखाने का दरवाजा खुला हुआ है। वर्ष 1993 के बाद तहखाने को प्रदेश सरकार के आदेश पर लोहे की बैरिकेडिंग से घेर दिया गया। तब से पूर्वजों का पूजा-पाठ बाधित हो गया। उस जगह उनके परिवार को जाने से रोका जाता रहा।

आरोप लगाया कि इसका फायदा उठाते हुए अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने तहखाने पर कब्जा कर लिया है। अदालत से पूजा शुरू करने की अनुमति मांगी। इसके साथ ही तहखाने को जिला मजिस्ट्रेट की सुपुर्दगी में देने की गुहार लगाई। ज्ञानवापी के अन्य मामले जिला जज की अदालत में चल रहे थे इसलिए अपने मामले को भी वहीं सुनने के लिए जिला जज की अदालत में भी एक अन्य प्रार्थना पत्र दे दिया। कहा गया था कि ज्ञानवापी से जुड़े अन्य मामलों की सुनवाई जिला जज कोर्ट में चल रही है। ऐसे में इस वाद की भी सुनवाई करें। जिला जज ने मांग स्वीकार करते हुए याचिका को सीनियर डिवीजन की अदालत से अपनी अदालत में मंगा लिया।

क्या है नंदी की मुराद? कैसे होगी पूरी
काशी विश्वनाथ मंदिर में एक मात्र नंदी इसी तहखाने के सामने स्थित हैं। ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह के बीच में स्थिति नंदी मंदिर के बजाए मस्जिद की तरफ देख रहे हैं। इसे लेकर हिन्दू पक्ष का कहना है कि नंदी हमेशा शिवलिंग की तरफ ही देखते हैं। ऐसे में असली बाबा विश्वेश्वर का शिवलिंग मस्जिद के अंदर ही है। हिन्दू पक्ष का कहना है कि नंदी भी चाहते हैं कि जल्द से जल्द मस्जिद के तहखाने समेत अन्य हिस्सों का भी गहराई से जांच हो और सच्चाई सभी के सामने आए।

हिन्दू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन का कहना है कि नंदी भगवान के ठीक सामने व्यास परिवार का तहखाना है। मस्जिद के ग्राउंड फ्लोर में बने इस तहखाने में 1993 तक पूजा होती थी। 1993 में मुलायम सिंह यादव की सरकार ने यहां पूजा बंद करा दी। वहां से पुजारियों को हटा दिया गया। यह आर्टिकल 25 का भी उल्लंघन था। कोर्ट में कहा गया कि कभी भी अंजुमन इंतजामियां इस तहखाना पर कब्जा कर सकती है, जिसके बाद कोर्ट ने डीएम को रिसीवर नियुक्त किया था।

1551 से व्यास परिवार कर रहा पूजा पाठ
वादी शैलेंद्र कुमार पाठक व्यास की ओर से दाखिल वाद के साथ संलग्न दस्तावेज में दावा किया गया है कि व्यास परिवार वर्ष-1551 से तहखाने में पूजा करता रहा है। सन-1993 तक पं. सोमनाथ व्यास पूजा करते रहे। इस दौरान उन्होंने अपनी बेटी उषा रानी के पुत्र शैलेंद्र कुमार पाठक व्यास को पूजा की अनुमति दी लेकिन उसी वर्ष लोहे की बाड़ लगाकर तहखाने की घेराबंदी होने से पूजा का अधिकार छिन गया।
वादी के अधिवक्ता की ओर से दाखिल पत्रावली के अनुसार मुख्य मंदिर के निचले हिस्से में शतांनद व्यास-1551, सुखदेव व्यास- 1669, शिवनाथ व्यास-1734, विश्वनाथ व्यास-1800, शंभूनाथ व्यास-1839, रुक्मिणी देवी-1842, महादेव व्यास-1854, कालिका व्यास-1874, लक्ष्मीनारायण व्यास-1883, रघुनंदन व्यास-1905, बैजनाथ व्यास-1930 ने तहखाना में पूजा-पाठ किया। बाद के वर्षों में चंद्र व्यास, केदारनाथ व्यास, सोमनाथ व्यास, राजनाथ व्यास, जितेंद्रनाथ व्यास, योगेंद्रनाथ व्यास आदि ने पूजन जारी रखा।

मौखिक आदेश पर पूजा से रोका गया
वादी शैलेन्द्र पाठक ने कहा है कि वह प्राचीन मंदिर के भीतर स्थित श्रीव्यास पीठ का वंशानुगत पुजारी है। यहां पुजारी पूजा, अनुष्ठान, कथा करते रहे हैं। वहां धार्मिक अनुष्ठान के साथ ही वीरभद्रेश्वर, महेश्वर, महाकालेश्वर, तारकेश्वर, अविमुक्तेश्वर, मां शृंगार गौरी, भगवान गणेश, भगवान हनुमान, नंदीजी और अन्य दृश्य -अदृश्य देवताओं की पूजा होती रही है। साल नवंबर-दिसंबर 1993 में पुजारियों और भक्तों को मौखिक आदेश देकर जाने से रोक दिया गया।

औरंगजेब के पहले दो बार हुआ हमला
तहखाना प्रकरण में दाखिल दस्तावेज के अनुसार, औरंगजेब के पहले विश्वनाथ मंदिर पर दो बार हमले हुए। कुतुबुद्दीन ऐबक के समय आक्रमणकारियों ने वर्ष-1192 और जौनपुर के सुल्तान मुहम्मद शाह ने वर्ष-1447 में हमला किया था। वे मंदिर के गहने और अन्य कीमती सामान लूट ले गए थे। राजा टोडरमल के गुरु नारायण भट्ट ने श्री आदि विशेश्वर मंदिर का निर्माण और जीर्णोद्धार करवाया।

उसमें मंडप, सहायक देवता, मंदिर, पीपल का पेड़ और पूजा की वस्तुओं के साथ व्यास पीठ भी शामिल है। औरंगजेब के नौ अप्रैल 1669 के फरमान के बाद श्री आदि विशेश्वर मंदिर परिसर को काफी नुकसान हुआ था। मुसलमानों ने जबरन इमारत की पहली मंजिल के एक हिस्से पर मस्जिद के रूप में उपयोग करने के लिए कब्जा कर लिया। उसके बाद भी हिंदू निचले हिस्से में पूजा करते थे।

क्या है अदालत का आज का फैसला
वाराणसी की जिला जज की अदालत ने बुधवार को फैसला दिया कि ज्ञानवापी में स्थित व्यास जी के तहखाने में पूजा पाठ शुरू होगी। जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने डीएम को सात दिन के अंदर पूजा-पाठ के प्रबंध करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने वादी और काशी विश्वनाथ ट्रस्ट बोर्ड की ओर से पुजारी नियुक्त कर यहां पूजा कराने का आदेश भी दिया है। पूजा के लिए लोहे के बाड़ को हटाकर रास्ता भी बनाया जाएगा। पिछले ही हफ्ते अदालत के आदेश पर व्यास जी के तहखाने की चाबी डीएम ने अपने कब्जे में ली थी।

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