गाजा पर रहम या बदली रणनीति, इजरायल की मदद के लिए सेना भेजने पर अमेरिका ने क्यों लिया यू-टर्न?

पिछले चार हफ्ते से इजरायल-हमास युद्ध चल रहा है। गाजा पट्टी में इजरायली सेना ने करीब दो मील अंदर तक घुसपैठ बढ़ा ली है। इजरायली सैनिक जमीन और आकाश दोनों तरफ से गाजा पट्टी पर हमले कर रही है।इससे गाजा पट्टी में अब तक 8000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें अधिकांश बच्चे और आम नागरिक हैं। आम नागरिकों की हो रही मौत पर जहां संयुक्त राष्ट्र लगातार दोनों पक्षों खासकर इजरायल से युद्ध विराम का आह्वान कर रहा है, वहीं अब अमेरिका ने भी कहा है कि इजरायल को गाजा पट्टी में हमास आतंकियों और आम नागरिकों के बीच भेद करना चाहिए और आम लोगों की रक्षा करनी चाहिए।गाजा पट्टी में लगातार हो रहे खून-खराबे के बीच बाइडेन प्रशासन ने रविवार को इजरायल को सख्त लहजे में कहा कि नागरिकों के जीवन की रक्षा करनी जरूरी है। व्हाइट हाउस ने इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू को फोन कर कहा कि इजरायल को अपनी रक्षा करने का अधिकार है लेकिन उसको अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के हिसाब से नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए। लगे हाथ अमेरिका की उप राष्ट्रपति कमला हैरिस ने साफ कर दिया कि अमेरिका इजरायल में कोई सैनिक नहीं भेजेगा, जबकि पहले अमेरिका ने कहा था कि वह जरूरत पड़ी तो इजरायल में सैनिक भेजेगा। वैसे अमेरिकी जवान भूमध्य सागर में एक बड़े अमेरिकी युद्धपोत पर इजरायल के लिए सुरक्षा कवच बनकर तैनात हैं।

मिडिल-ईस्ट में संकट बढ़ने के आसार
इस बीच, अमेरिका ने सीरिया और लेबनान में ईरान समर्थित आतंकी ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की है। अमेरिका का यह कदम उसके सैन्य ठिकानों पर हुए हमले का जवाब है। सीरिया और लेबनान में अमेरिकी हमले और गाजा पट्टी में इजरायल के बढ़ते कदम से मिडिल ईस्ट में संकट गहरा गया है। इसके अलावा इस लड़ाई की आग दूसरे देशों में भी फैलने लगी है। रूस में इजरायली विमान के पहुंचने पर वहां मुसलमानों का हुजूम यहूदियों को मारने दौड़ पड़ा, इससे रूसी एयरपोर्ट को बंद करना पड़ गया। साफ है कि इजरायल हमास के युद्ध का असर पूरी दुनिया पर पड़ने लगा है।

तुर्की राष्ट्रपति का बयान, तनाव बढ़ा
वैश्विक तनाव के बीच तुर्की ने भी हमले की चेतावनी दी है। रविवार को इस्ताम्बुल में फिलिस्तीन के समर्थन में एक रैली को संबोधित करते हुए तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने पश्चिमी देशों पर इजरायल के हमले को रोकने में विफल रहने का आरोप लगाया और गाजा पर इजरायल के हमलों की निंदा की। एर्दोगन ने कहा कि गाजा में निर्दोष लोगों की हत्या के लिए पश्चिम ही सबसे अधिक जिम्मेदार है।

एर्दोगन के भाषण के बाद, इजरायली विदेश मंत्री एली कोहेन ने तुर्की से देश के राजनयिक प्रतिनिधियों को वापस बुला लिया है और कहा है कि वह तुर्की के साथ संबंधों का पुनर्मूल्यांकन करेंगे। इससे पहले एर्दोगन ने इस सप्ताह की शुरुआत में इजरायल की अपनी नियोजित यात्रा रद्द कर दी थी।

पांच मोर्चों पर जंग, वैश्विक युद्ध की आशंका
इजरायल को ही पांच मोर्चों पर लड़ाई लड़नी पड़ रही है। IDF को गाजा में हमास आतंकियों के अलावा, वेस्ट बैंक, सीरिया, लेबनान और दक्षिण में यमन के हूती विद्रोहियों से भी जंग लड़ना पड़ रहा है। हूती विद्रोही अपने क्षेत्र से ही इजरायल पर बैलेस्टिक मिसाइल दाग रहे हैं। अमेरिका को आशंका है कि अगर उसने इजरायल की मदद के लिए जमीन पर अमेरिकी सैनिक उतारे तो जंग में कई और मोर्चे खुल सकते हैं, जिससे विश्व युद्ध की आग भड़क सकती है।

बंधकों का खतरा
इजरायली प्रधानमंत्री भी ताजा तनाव के दौर में फूंक-फूंककर कदम रख रहे हैं। खुफिया नाकामी पर पहले से ही देश के अंदर घिरे बेंजामिन नेतन्याहू अब बंधकों के रिहाई के मामले में भी बंधन में हैं। इसी वजह से इजरायली सेना गाजा पट्टी में जाकर ठिठक गई है। वह ना तो तेजी से आगे बढ़ पा रही है क्योंकि पग-पग हमास आतंकियों की सुरंगें और विस्फोट का खतरा है तो दूसरी तरफ इजरायली बंधकों की सुरक्षा का सवाल भी है। अमेरिका भी बंधकों की सुरक्षा के मामले में गाजा पट्टी में संघर्ष विराम चाहता है ताकि इजरायली बंधकों को हमास के चंगुल से छुड़ाया जा सके।

रूस की चाल से भी सहमा अमेरिका
इसके अलावा नेतन्याहू अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी दबाव महसूस कर रहे हैं। यही दबाव अब अमेरिका भी महसूस करने लगा है। दुनिया भर में बढ़ते तनाव को कम करने और गाजा पट्टी में मानवीय संकट को कम कर वहां तेजी से स्थिति सामान्य बनाने की एक रणनीति पहल के तौर पर अमेरिका ने अब एक तरफ इजरायल को गाजा पट्टी में आम नागरिकों को बचाने की नसीहत दी है, तो दूसरी तरफ अपने सैनिकों को भेजने से भी इनकार किया है।

एक बात और है, जो अमेरिका को अब सालने लगा है। अमेरिका के दो बड़े दुश्मनों रूस और चीन ने फिलिस्तीन के बहाने अरब देशों के अलावा करीब 50 देशों को एकजुट करना शुरू कर दिया है। अमेरिका इसे भी वैश्विक शांति के लिए एक बड़ा खतरा मान रहा है।

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