राजधानी दिल्ली में हवा की सेहत दिनोंदिन बिगड़ती जा रही है। बढ़ते पलूशन के चलते शहर हांफ रहा है। हवा की गुणवत्ता बीते पांच दिनों से ‘बहुत खराब’ है।पलूशन से लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया कि ‘गंभीर’ श्रेणी की वायु गुणवत्ता वाले क्षेत्रों में लगातार पांच दिन तक निर्माण कार्य पर बैन लगाया जाएगा। साथ ही दिल्ली में 1 नवंबर से डीजल बसों की एंट्री को बंद कर दिया गया है।
आज से डीजल बसों की एंट्री बैन
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया, ‘सीएक्यूएम (वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग) के निर्देशों के अनुसार आज से दिल्ली में डीजल बसों का प्रवेश बंद कर दिया गया है। इसके लिए 18 टीमों का गठन किया गया है। राज्य सरकारों से मेरा अनुरोध है कि वे अपने डिपो से केवल सीएनजी, इलेक्ट्रिक या बीएस-VI बसें चलाएं।’
अब किन वाहनों को मिलेगी अनुमति
पलूशन की मार के बाद डीजल वाहनों की एंट्री पर आज से पूरी तरह से बैन लगा दिया गया है। लेकिन दिल्ली में सीएनजी, इलेक्ट्रिक और बीएस-VI वाहनों की एंट्री पर कोई बैन नहीं है। दिल्ली सरकार ने इसके लिए 18 टीमों का गठन भी किया है। ये टीमें वाहनों की चेकिंग करेंगी। नियम का पालन नहीं करने पर वाहन मालिक के खिलाफ सख्त ऐक्शन लिया जाएगा।
बता दें कि दिल्ली और इसके आसपास के शहरों में बुधवार को धुंध छाई रही और रात के दौरान तापमान में गिरावट और हवा नहीं चलने के कारण राजधानी की वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ श्रेणी में पहुंच गई। शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) सुबह 10 बजे 372 दर्ज किया गया, जो इस मौसम में अब तक का सबसे अधिक है। 24 घंटे की अवधि का मंगलवार को औसत एक्यूआई 359, सोमवार को 347, रविवार को 325, शनिवार को 304 और शुक्रवार को 261 दर्ज किया गया था।
शहर के भीतरी इलाके जैसे नेहरू नगर (402), सोनिया विहार (412), रोहिणी (403), वजीरपुर (422), बवाना (403), मुंडका (407), आनंद विहार (422), और न्यू मोती बाग (435) में हवा की गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच गई है।
इन स्थानों पर पीएम 2.5 (सूक्ष्म कण जो सांस लेने पर श्वसन प्रणाली में गहराई तक प्रवेश कर सकते हैं और श्वसन संबंधी समस्याएं पैदा कर सकते हैं) की सांद्रता 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की सुरक्षित सीमा से छह से सात गुना अधिक रही। पड़ोसी गाजियाबाद में एक्यूआई 280, फरीदाबाद में 318, गुरुग्राम में 254, नोएडा में 333 और ग्रेटर नोएडा में 372 था।