कब है धनतेरस, जानें पूजा विधि, मंत्र, आरती, मुहूर्त सहित पूरी डिटेल

कार्तिक मास के आरंभ होते ही कई सारे पर्व त्योहार शुभ हो जाते हैं मान्यता है कि इस महीने में कई बड़े त्योहार मनाए जाते हैं जिसमें धनतेरस, दिवाली, भाई दूज आदि शामिल है।

हिंदू पंचांग के अनुसार धनतेरस का त्योहार हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर मनाया जाता है इस बार धनतेरस का त्योहार 10 नवंबर दिन शुक्रवार को देशभर में मनाया जाएगा।

इस दिन लक्ष्मी, भगवान कुबेर और धन्वंतरि की विधिवत पूजा की जाती है मान्यता है कि इस दिन ऐसा करने से सुख समृद्धि घर में आती है। धनतेरस को खरीदारी के लिए भी खास माना गया है इस दिन लोग सोना चांदी, बर्तन, वाहन, प्रॉपटी आदि की खरीदारी करते हैं मान्यता है कि धनतेरस पर खरीदारी करने से धन में वृद्धि होती है ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा धनतेरस पर्व से जुड़ी सारी डिटेल बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।

धनतेरस की तारीख और मुहूर्त-
धनतेरस का त्योहार 10 नवंबर दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 47 मिनट से 7 बजकर 43 मिनट तक रहेगा। यानी पूजा की कुल अवधि 1 घंटा56 मिनट का रहेगा। यम दीपदान के लिए प्रदोष काल शाम 5 बजकर 30 मिनट से रनात 8 बजकर 8 मिनट तक रहेगा।

धनतेरस पूजा विधि-
धनतेरस के दिन सुबह उठकर स्नान करें इसके बाद पूजा का संकल्प करें अब शाम को शुभ मुहूर्त में साफ वस्त्रों को धारण कर भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा पूजन स्थल पर रखें। इसके बाद इसके बाद सत्यं च येन निरतं रोगं विधूतं, अन्वेषित च सविधिं आरोग्यमस्य। गूढं निगूढं औषध्यरूपम्, धन्वन्तरिं च सततं प्रणमामि नित्यं।। इस मंत्र से भगवान का अह्वान करें अब भगवान की विधिवत पूजा करें और सभी पूजन सामग्री अर्पित कर भोग लगाएं। इसके बाद भगवान की आरती करें और भूल चूक के लिए क्षमा मांगे।

भगवान धन्वंतरि की आरती-

जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा।
जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।।जय धन्वं.।।
तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिए।
देवासुर के संकट आकर दूर किए।।जय धन्वं.।।
आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया।
सदा स्वस्थ रहने का, साधन बतलाया।।जय धन्वं.।।
भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी।
आयुर्वेद वनस्पति से शोभा भारी।।जय धन्वं.।।
तुम को जो नित ध्यावे, रोग नहीं आवे।
असाध्य रोग भी उसका, निश्चय मिट जावे।।जय धन्वं.।।
हाथ जोड़कर प्रभुजी, दास खड़ा तेरा।
वैद्य-समाज तुम्हारे चरणों का घेरा।।जय धन्वं.।।
धन्वंतरिजी की आरती जो कोई नर गावे।
रोग-शोक न आए, सुख-समृद्धि पावे।।जय धन्वं.।।

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