कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पक्ष में ‘क्रॉस-वोटिंग’ करने वाले अपने छह विधायकों में से एक सुधीर शर्मा को बुधवार को पार्टी के सचिव पद से हटा दिया।पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सुधीर शर्मा को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव पद से तत्काल प्रभाव से हटा दिया है।
हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला से ताल्लुक रखने वाले शर्मा प्रदेश के वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं में शुमार किए जाते हैं। हाल ही में उन्हें और पांच अन्य विधायकों को अयोग्य ठहराया गया। सुधीर शर्मा ने पद छीने जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए तंज कसा। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘भार मुक्त तो ऐसे किया है जैसे सारा बोझ मेरे ही कंधों पर था। चिंता मिटी, चाहत गई, मनवा बेपरवाह, जिसको कछु नहीं चाहिए, वो ही शहंशाह।’
हिमाचल प्रदेश में पिछले दिनों राज्यसभा की एकमात्र सीट के लिए हुए मतदान में कांग्रेस के छह विधायकों द्वारा ‘क्रॉस वोटिंग’ किए जाने के बाद भाजपा उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी और उसके बाद से राज्य में राजनीतिक संकट पैदा हो गया था।
विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने पिछले गुरुवार को इन छह विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया। विधायकों ने सदन में वित्त विधेयक पर सरकार के पक्ष में मतदान करने के पार्टी व्हिप का उल्लंघन किया था। अब इन विधायकों ने स्पीकर के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। बागी विधायक अपने रुख पर कामय हैं तो उधर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि खनन माफिया पर उनके ऐक्शन की वजह से इन विधायकों ने बगावत की है।
सुक्खू सरकार के लिए मुश्किल यह है कि पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह का परिवार भी इन बागी विधायकों के साथ है। सुक्खू सरकार में मंत्री और वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य ने कई बार इन विधायकों से मुलाकात की है।