कांग्रेस नेता राहुल गांधी न्याय यात्रा पर निकले हुए हैं। इधर उनकी पार्टी के एक और दिग्गज नेता साथ छोड़ चुके हैं। पूर्व मंत्री मुरली देवड़ा ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है। इसके साथ ही देवड़ा परिवार के कांग्रेस के साथ 55 साल के पारिवारिक रिश्ते का अंत हो चुका है।
गौरतलब है कि मिलिंद देवड़ा दिग्गज कांग्रेसी नेता मुरली देवड़ा के बेटे हैं। लोकसभा चुनाव से ऐन पहले मिलिंद देवड़ा का इस्तीफा कांग्रेस के लिए किसी झटके से कम नहीं है। वैसे यह पहली बार नहीं है जब किसी दिग्गज कांग्रेसी ने पार्टी छोड़ी है। साल 2019 से अभी तक कुल 11 नेताओं ने ऐसा किया है। इनमें से तमाम तो राहुल गांधी के बेहद करीबी थे। मिलिंद देवड़ा ने आज शिवसेना शिंदे गुट ज्वॉइन कर लिया।देवड़ा के कांग्रेस छोड़ने के पीछे की वजह दक्षिणी मुंबई सीट है, जहां से वह लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे। लेकिन कांग्रेस के गठबंधन के चलते यह सीट शिवसेना उद्धव गुट के खाते में चली गई थी।
कपिल सिब्बल और गुलाम नबी आजाद
कभी कांग्रेस के दिग्गजों में शुमार रहे कपिल सिब्बल ने 16 मई, 2022 को पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। वह यूपीए के शासनकाल में केंद्रीय मंत्री रह चुके थे। हालांकि सिब्बल ने अपने इस्तीफे का ऐलान एक हफ्ते बाद किया। उन्होंने सपा समर्थित निर्दल प्रत्याशी के रूप में राज्यसभा के लिए नामांकन किया था। इसी तरह गुलाम नबी आजाद ने भी 2022 में ही कांग्रेस का हाथ छोड़ दिया था। यह पार्टी के लिए बहुत बड़ा झटका था। आजाद राहुल गांधी के ऊपर जमकर बरसे थे और अपने इस्तीफे में उनकी अपरिपक्वता को लेकर भी सवाल उठाए थे।
हार्दिक पटेल और अश्वनी कुमार
कभी कांग्रेस का युवा चेहरा कहे गए हार्दिक पटेल ने भी मई 2022 में कांग्रेस छोड़ दी थी। यह राहुल गांधी के लिए व्यक्तिगत तौर पर बहुत बड़ा झटका था, जो 2019 में उन्हें पार्टी में लेकर आए थे। बाद में हार्दिक पटेल ने भाजपा ज्वॉइन कर ली थी। इसी तरह एक अन्य पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्वनी कुमार ने भी फरवरी 2022 में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने यह फैसला पंजाब चुनाव से ऐन पहले लिया था। काफी वरिष्ठ कांग्रेसी रहे अश्वनी कुमार पार्टी छोड़ने वाले पहले सीनियर यूपीए कैबिनेट मिनिस्टर थे।
सुनील जाखड़ और आरपीएन सिंह
ऐसा ही दिग्गज नाम सुनील जाखड़ का था जो पंजाब कांग्रेस के मुखिया थे। उन्होंने साल 2022 में पार्टी छोड़ी थी। असल में जाखड़ ने पंजाब के उस वक्त के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की आलोचना की थी। इसके लिए पार्टी ने उनसे जवाब मांगा था। बाद में मई 2022 में जाखड़ ने भाजपा ज्वॉइन कर ली थी और उसी साल जुलाई में उन्हें पंजाब का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया था। एक अन्य पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह ने भी भाजपा छोड़कर जनवरी 2022 में भाजपा ज्वॉइन कर ली थी। उत्तर प्रदेश चुनाव से ऐन पहले ऐसा करने वाले वह प्रमुख नेता था। वह यूपी चुनाव प्रचार में प्रियंका गांधी द्वारा दरकिनार किए जाने से आहत महसूस कर रहे थे।
ज्योतिरादित्य सिंधिया और जितिन प्रसाद
यह दोनों ही नाम राहुल गांधी के बेहद करीबी थे। उनके पिता माधवराव सिंधिया भी कांग्रेस के दिग्गज नेता थे और केंद्र में मंत्री भी रहे थे। सिंधिया ने साल 2020 में कांग्रेस छोड़ भाजपा ज्वॉइन कर ली थी। उस वक्त मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार गिराने में भी सिंधिया की बड़ी भूमिका थी। इसी तरह जितिन प्रसाद ने 2021 में, यूपी विधानसभा चुनाव से एक साल पहले कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया था। वह यूपी में कांग्रेस का बड़ा ब्राह्मण चेहरा माने जाते थे।
अल्पेश ठाकोर और अनिल एंटनी
अल्पेश ठाकोर कांग्रेस के पूर्व विधायक थे और जुलाई 2019 में पार्टी छोड़ दी थी। बाद में वह भाजपा से जुड़े थे और पिछले साल हुए चुनाव में गुजरात की गांधीनगर साउथ सीट से जीत हासिल की थी। इसी तरह पूर्व दिग्गज कांग्रेसी एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी ने बीते साल जनवरी में पार्टी छोड़ दी थी। उन्होंने अगले ही महीने भाजपा ज्वॉइन कर ली थी और पीएम मोदी की काफी तारीफ की थी। हालांकि बेटे के फैसले पर पूर्व केंद्रीय मंत्री एंटनी ने काफी नाराजगी जताई थी।