अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा की तैयारियां जोरों पर हैं। अयोध्या में बन रहे राम मंदिर की जानकारी सबको है, लेकिन यूपी के एक और शहर में राम मंदिर बन रहा है।इस राम मंदिर का निर्माण मुस्लिम कारीगरों की देखरेख में हो रहा है। मकराना (राजस्थान) के साजिद, सादात व समीर इस समय शहर के महर्षि भृगु मंदिर के सामने स्थापित मंदिर में राम दरबार को आकार देने में जुटे हैं। सफेद पत्थरों से गर्भगृह को सजाने में लगे ये मुस्लिम कारीगर मकराना से अयोध्या में आए पत्थरों को भी वहां की फैक्ट्री में तराश चुके हैं। अयोध्या की तर्ज पर बलिया में बन रहे इस राम मंदिर में भी श्रीराम-सीता, लक्ष्मण समेत अन्य देवताओं के करीब 350 से 400 वर्ष पुराने विग्रहों की प्राण-प्रतिष्ठा 22 जनवरी को की जाएगी। यहां भी पांच दिन पहले से अनुष्ठान प्रारम्भ हो जाएंगे।
भृगु मंदिर के ठीक सामने श्रीराम-जानकी का मंदिर वर्षों पहले से स्थापित था। मंदिर के जीर्ण-शीर्ण होने पर करीब सात सौ स्क्वायर फीट जमीन पर मंदिर का जीर्णेद्धार कराया गया है। इस मंदिर के गर्भगृह के निर्माण में मकराना से आए मुस्लिम कारीगर साजिद, सादात व समीर लगे हैं। साजिद कहते हैं, अयोध्या धाम में बन रहे श्रीराम मंदिर के लिए भी सफेद पत्थर मकराना से ही आए हैं। वहां की फैक्ट्री में पत्थरों को तराशने के बाद अयोध्या लाया गया। उस फैक्ट्री में हम सभी ने काम किया था।
मंदिर की देखभाल कर रहे रजनीकांत सिंह के अनुसार मंदिर में श्रीराम, लक्ष्मण, माता सीता समेत अन्य विग्रहों की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को ही की जाएगी। उससे पहले अयोध्या धाम की तर्ज पर यहां भी आयोजन होंगे। 17 जनवरी को पंचांग पूजन होगा। 18 को वेदी पूजन, अधिवास व अग्नि स्थापन, 19 जनवरी को अन्न आदि अधिवास के बाद 20 को तीर्थों से लाए गए जल से स्नान कराया जाएगा। 21 जनवरी को वास्तु पूजन के बाद मंदिर में विग्रह को स्थापित कर दिया जाएगा। 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा होगी। उसी दिन शाम चार बजे से भंडारा भी होगा, जिसमें श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण करेंगे।
‘प्रथम बलिया’ के हैं श्रीराम-लक्ष्मणगंगा की कटान के बाद बलिया शहर मौजूदा स्थान पर तीसरी बार बसा है। शहर के विस्थापित होने पर प्रतिमाओं को भी नयी जगह पर लाया गया। पुरातत्व में शोध कर रहे डा. शिवकुमार सिंह कौशिकेय के अनुसार महर्षि भृगु मंदिर के ठीक सामने स्थापित मंदिर की प्रतिमाएं भी ‘प्रथम बलिया’ के समय की लगभग 350 से 400 वर्ष पुरानी हैं। बताते हैं, वर्ष 1894 में पहली बार और 1905 में दूसरी बार बलिया कटान से विस्थापित हुआ। लोग अपने साथ प्रतिमाओं को भी ले आए और नयी जगहों पर स्थापित किया। रजनीकांत सिंह के अनुसार विग्रह बहुत ही जागृत हैं। बचपन से ही हमने और आसपास के लोगों ने कई चमत्कार प्रत्यक्ष रूप से देखे हैं।
21 फीट ऊंचा शिखर, छह फीट का कलश
निर्माणाधीन मंदिर का शिखर 21 फीट का है। उसके ऊपर छह फीट का मुख्य कलश स्थापित होगा। इनके अलावा एक-एक फीट के अन्य 16 कलश शिखर के चारों ओर लगाए जाएंगे। शिखर दूर से ही आकर्षक दिखे, इसके लिए लाइटिंग भी की जाएगी। गर्भगृह के निर्माण के लिए मकराना (राजस्थान) से करीब पांच टन सफेद पत्थर मंगाया गया है।