CAA में मुस्लिम को छोड़कर पांच धर्मों को ही क्यों रखा गया, अमित शाह ने दिया जवाब

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) से जुड़े तमाम सवालों के जवाब दिए। देश के बंटवारे का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी उस स्थिति में नहीं थी, अगर होती तो हम कभी इस देश का बंटवारा नहीं होने देते।शाह ने कहा, ‘यह दुर्भाग्य की बात है कि इस देश का बंटवारा हुआ और धर्म के आधार पर हुआ। जब देश का बंटवारा हो रहा था तो हजारों लोग यहां से वहां आ और जा रहे थे। इस दौरान काफी हिंसा हुई। इसे देखते हुए नेताओं ने कहा कि जो लोग जहां पर हैं, वहीं पर रहिए। आप बाद में आ सकते हैं और आपको नागरिकता दी जाएगी।’

सीएए के धर्म से जुड़ा कानून होने के सवाल पर अमित शाह ने पूछा कि आखिर मुस्लिम पर्सनल लॉ क्या है। उन्होंने कहा, ‘अगर धर्म के आधार पर कानून नहीं होना चाहिए तो फिर मुस्लिम पर्सनल लॉ का समर्थन कैसे किया जा सकता है।’ CAA के तहत मुसलमानों को नागरिकता क्यों नहीं दी जा रही है? इसके जवाब में उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान में आजादी के वक्त 23 फीसदी हिंदू थे जो अब 2.7 प्रतिशत ही हैं। आखिर ये लोग कहां गए। इनका जबरन धर्म परिवर्तन हुआ। इनके साथ अत्याचार हुआ और ये वहां से भागकर भारत आए।’

शाह बोले- तीनों इस्लामिक देश हैं फिर कैसे…
अमित शाह ने कहा कि बांग्लादेश में लगभग 23 प्रतिशत हिंदू थे और आज 10 प्रतिशत बचे हैं। इनका धर्म परिवर्तन हुआ या फिर ये भागकर भारत आए। उन्होंने कहा, ‘2 लाख से ज्यादा सिख और हिंदू अफगानिस्तान में थे। आज 378 हैं। ये लोग अपना और अपने परिवार का सम्मान बचाने भारत आए हैं। आप कैसे कह सकते हैं कि इन्हें नागरिकता न दी जाए। हम सबको नहीं ला सकते हैं। मगर, ये तीनों देश इस्लामिक देश हैं और वहां मुस्लिम धार्मिक पीड़ित कैसे हो सकते हैं।’

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