लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी गठबंधन INDIA की सीट शेयरिंग को लेकर काफी सरगर्मी देखने को मिल रही है। विपक्षी एकता की बात करें तो इसका प्रयास सबसे पहले बिहार के सीएम और जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने ही शुरू किया था।उन्होंने ही सोनिया गांधी से मुलकात करके विपक्ष दलों की एकता और सहमति बनाने को लेकर बात की थी। पर बात जब अब गठबंधन के संयोजक बनने की है तो इसमें नीतीश कुमार के आगे सबसे बड़ी बाधा बनकर ममता बनर्जी खड़ी हैं। ममता बनर्जी कांग्रेस को भी पश्चिम बंगाल में भाजपा के बराबर ही विरोधी मानती हैं। इंडिया गठबंधन की पिछली बैठक में उन्होंने गांधी परिवार को रोकने के लिए मल्लिकार्जुन खरगे का नाम पीएम पद के चेहरे और गठबंधन के संयोजक के रूप में प्रस्तावित कर दिया। कांग्रेस की करीबी होने की वजह से वह नीतीश कुमार को भी संयोजक के रूप में नहीं देखना चाहतीं।
इसी बीच नीतीश कुमार ने वाम मोर्चे के कार्यक्रम में शामिल होने कोलकाता जाने की हामी भरकर मामले में ट्विस्ट ला दिया है। एक तरफ इंडिया गठबंधन में आगामी लोकसभा चुनाव के लिए सीट शेयरिंग का मुद्दा गरम है। पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु की 14वीं पुण्य तिथि के मौके पर सीपीआई (M) ने नीतीश कुमार को आमंत्रित किया है। सीपीआई (एम) जेडीयू को भले ही सहयोगी मानती रही हो लेकिन इससे पहले कभी मुख्यमंत्री को हाल के सालों में आमंत्रित नहीं किया गया।
बता दें कि कुछ क्षेत्रीय दलों के नेताओं ने नीतीश कुमार को गठबंधन का संयोजक बनाने की मांग रखी थी। ममता बनर्जी ने इसका विरोध किया था। हालांकि इस मामले को लेकर अब तक ममता बनर्जी ने कोई बयान नहीं दिया है। सोमवार को कांग्रेस ने बिहार में सीट शेयरिंग को लेकर जेडीयू और आरजेडी के साथ औपचारिक चर्चा शुरू की। इसी बीच जेडीयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने बताया कि नीतीश कुमार को वाममोर्चे की तरफ से आमंत्रण मिला है लेकिन उन्होंने 17 जनवरी के कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर कोई फैसला अब तक नहीं किया है।
कांग्रेस और सीपीआई (एम) पहले ही कह चुकी हैं कि बंगाल में इंडिया मॉडल काम नहीं करने वाला है क्योंकि वे टीएमसी और भाजपा दोनों का ही विरोध करते हैं। हालांकि ममता बनर्जी ने 19 दिसंबर को कहा कि वह इस बार बरहामपुर और मालदा साउथ की सीट कांग्रेस को देने को तैयार हैं। यहां से उनकी पार्टी चुनाव में नहीं उतरेगी। वहीं कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि अगर पार्टी 42 सीटों में से केवल गठबंधन की मर्यादा के लिए दो सीटों पर लड़ती है तो बंगाल में उसके अस्तित्व पर खतरा आ जाएगा। वहीं सीपीआई (एम) ने पहले ही कह दिया है कि अगर कांग्रेस टीएमसी के साथ गठबंधन करती है तो वह साथ छोड़ देगी। इसके बाद कांग्रेस के हाई कमान ने बंगाल में अपनी स्थिति का पता लगाने का फैसला किया है।
सीपीआई (एम) के बंगाल यूनिट के सचिव मोहम्मद सलीम ने कहा, हमें उम्मीद है कि 17 जनवरी को नीतीश कुमार आएंगे। ममता बनर्जी सोचती हैं कि वह कांग्रेस को केवल दो सीट देकर उसे सहमत कर सकती हैं। वह गठबंधन में रहना ही नहीं चाहती हैं। वहीं लेफ्ट पार्टियां भाजपा के खिलाफ गठबंधन को मजबूत करने के लिए ज्यादा उत्सुक हैं।
इस सारे घटनाक्रम पर टीएमसी ने भी नजरें बना रखी हैं। टीएमसी के राज्यसभा सांसद सांतनु सेन ने कहा, कोई भी पार्टी किसी राजनेता को बुला सकती है। यह उनका आंतरिक मामला है। जिसे बुलाया गया है उसपर है कि वह आमंत्रण का सम्मान करता है या नहीं। लोगों को यह समझना चाहिए कि बंगाल में केवल टीएमसी ही भाजपा विरोधी दल है।