,अंतरिक्ष में तैनात अब तक का सबसे बड़ा टेलीस्कोप, जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST), लगातार ब्रह्मांड का स्कैन कर रहा है। साल 2021 में लॉन्च हुई यह अंतरिक्ष वेधशाला अब तक कई बड़ी जानकारियां दे चुकी है।
दूर की आकाशगंगाएँ दिखायी गयी हैं। सितारों की नर्सरी को भी कैमरे में कैद किया गया है. हाल ही में इस टेलीस्कोप ने एक ग्रह बनाने वाली डिस्क का अवलोकन किया, जहां से कुछ महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई। इससे यह जानने में मदद मिल सकती है कि हमारी पृथ्वी और अन्य ग्रहों का निर्माण कैसे हुआ होगा।
जेम्स वेब टेलीस्कोप द्वारा जांच की गई डिस्क से ठंडी ‘भाप’ निकलती है। यह डिस्क टॉरस क्षेत्र में है, जहां बड़ी संख्या में तारे बनते हैं। यह स्थान पृथ्वी से लगभग 430 प्रकाश वर्ष दूर है। इससे जुड़ा अध्ययन एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में प्रकाशित हुआ है।रिपोर्ट के मुताबिक, वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्रहों का निर्माण छोटे-छोटे कंकड़-पत्थरों से शुरू होता है। बर्फ से ढके सिलिकेट चट्टान के टुकड़े ग्रह-निर्माण डिस्क के बाहरी इलाके में अपना काम शुरू करते हैं। यह स्थान धूमकेतुओं का घर है। कंकड़ एक साथ चिपकते हैं और तब तक आकार लेते हैं जब तक एक प्रोटोप्लैनेट नहीं बन जाता।
हालाँकि, जेम्स वेब ने जिस जल वाष्प का पता लगाया था वह बर्फीले कंकड़ से आया होगा। इस खोज में दूरबीन में स्थापित मिड-इन्फ्रारेड इंस्ट्रूमेंट (MIRI) ने भूमिका निभाई। जेम्स वेब टेलीस्कोप ने अब तक 4 ग्रह-निर्माण डिस्क देखी हैं। उन्हें केवल 2 छोटी डिस्क में जलवाष्प मिली।हालाँकि वैज्ञानिकों के मन में अभी भी कई सवाल हैं, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि भविष्य के अवलोकन से इन जलवाष्पों के रहस्य को और भी सुलझाया जा सकेगा। इससे पता चलेगा कि पृथ्वी और अन्य ग्रहों का निर्माण कैसे हुआ।