ताइवान के भीषण भूकंप में भी शान से खड़ा रहा ‘ताइपे 101’ टावर, आखिर कैसे है इतना मजबूत

बीते बुधवार को 25 साल के इतिहास में ताइवान में भयंकर भूकंप आया था। इस भूकंप की तीव्रता 7.4 थी। इस प्राकृतिक त्रासदी में 10 लोगों की मौत हो गई जबकि सैकड़ों लोगों के घायल होने की खबर है।भूकंप का केंद्र हुलिएन काउंटी था जो देश की राजधानी ताइपे से सिर्फ 80 मील की दूरी पर स्थित है। ताइपे में कई इमारतें ताश के पत्तों की तरह भरभरा कर गिर गईं बावजूद इसके ‘ताइपे 101’ टावर जस का तस खड़ा रहा। यह गगनचुंबी इमारत जो कभी दुनिया की सबसे ऊंची इमारत थी, इस भयावह भूकंप के बाद बिल्कुल सुरक्षित है। हालांकि, भूकंप के दौरान 1,667 फुट ऊंचा टावर हिला जरूर था इसके बावजूद यह मजबूती से खड़ा रहा।
ताइवान में आते रहे रहे भीषण भूकंप
चूंकि द्वीप राष्ट्र ताइवान में विनाशकारी भूकंपों का एक लंबा इतिहास है। यहां की इमारतों को भूकंपीय तरंगों के बचाव के लिए एकीकृत प्रणाली से तैयार किया गया है। 1999 में ताइवान को सबसे घातक भूकंपों में से एक का सामना करना पड़ा जिसमें 2,400 लोग मारे गए। ताइवान के नेशनल सेंटर फॉर रिसर्च ऑन अर्थक्वेक इंजीनियरिंग (एनसीआरईई) के अनुसार, इस भूकंप के दौरान 51,000 से अधिक इमारतें ध्वस्त हो गई थीं।तब से ताइवान ने भूकंप प्रतिरोधी निर्माण तकनीकों पर जोर देते हुए सख्त बिल्डिंग कोड लागू किए हैं। एनसीआरईई के अनुसार, 2009 में ताइवान में लगभग 80 इमारतों में भूकंपीय विशेषताएं थीं जो 2022 तक बढ़कर 1,000 से अधिक हो गईं। भूकंपीय गतिविधि के खिलाफ ‘ताइपे 101’ के निर्माण में कई तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है।
गहरी नींव पर है आधारित
इस इमारत को कंक्रीट और स्टील को मिला कर बनाया गया है। जिससे इस इमारत को अधिक लचीलापन और मजबूती हासिल हो गई है। जिससे गगनचुंबी इमारत भूकंप को सहन करने में सक्षम हो गई। दूसरी बात यह कि इमारत गहरी नींव पर टिकी हुई है जो कंक्रीट और स्टील के आधार पर ही तैयार की गई है। सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, टावर में स्थिरता बढ़ाने के लिए इसका कोर मजबूत स्टील आउट रिगर ट्रस के माध्यम से बाहरी मेगा-कॉलम से जोड़ा गया है।
ताइपे 101 कैसे रहता है स्थिर
ताइपे 101 टावर की स्थिरता मास डैम्पर पर भी निर्भर करती है। मास डैम्पर 87वीं और 92वीं मंजिलों के बीच 92 मोटी केबलों से लटका हुआ एक गोलाकार उपकरण है, जिसके जरिए इस टावर को मजबूती मिलती है।

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