भाजपा के महिला आरक्षण वाले बिल की अखिलेश यादव ने काट निकाल ली है। महिला आरक्षण पर भाजपा के आक्रामक रुख को देखते हुए सपा अब ‘पीडीए’ यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक महिलाओं का मुद्दा उछालेगी।
भाजपा महिला आरक्षण बिल को पास कराने को अपनी बड़ी उपलब्धि मानते हुए अब इसकी चर्चा चुनाव प्रचार में कर ही है तो सपा जातिगत जनगणना की मांग के आंदोलन में अब पीडीए महिलाओं को आरक्षण के मुद्दे पर लोगों को जागरुक करेगी। सपा अपना चुनावी अभियान जल्द शुरू करने जा रही है।
पार्टी के विभिन्न आनुषांगिक संगठनों द्वारा ‘पीडीए’ व जातिगत जनगणना का मुद्दा पहले से ही उठाया जा रहा है। अब इसमें महिला आरक्षण के भीतर आरक्षण न दिए जाने को लेकर भाजपा को निशाने पर लिया जाएगा। पार्टी की कोशिश है कि ओबीसी, दलित व मुस्लिम महिलाओं का समर्थन भी इसके जरिए हासिल किया जा सकता है। यही नहीं महिला आरक्षण बिल जिस रूप में पास हुआ है, वह भी अभी लागू नहीं हुआ है। पार्टी इसको लेकर भी भाजपा को घेरेगी। सपा का फोकस महिला आरक्षण में सामाजिक न्याय दिलाने पर है।
एमवाई से पीडीए के सफर में सपा
सपा के पास मुस्लिम व यादव वर्ग का पुराना वोटबैंक है। अब 2024 के लोकसभा चुनाव की आहट से पहले ही सपा पीडीए का मुद्दा उछाल कर अपनी सियासी जमीन का विस्तार चाहती है। सपा का पुराना वोट बैंक करीब 32-33 प्रतिशत माना जाता है जबकि अगर ‘पीडीए’ का वोट देखा जाए तो यह 80 प्रतिशत के करीब पहुंचता है। बीते विधानसभा चुनाव में स्वामी प्रसाद मौर्य ने 80 बनाम 20 का नारा भी दिया था। ऐसे में इसी वोट बैंक में सेंध लगाने के कई और जतन के साथ महिला आरक्षण में आरक्षण का मुद्दा गर्माने की तैयारी है।
महिलाओं को अलग से लुभाने की इसलिए पड़ रही जरूरत
सपा को अहसास है कि विभिन्न लाभार्थी योजनाओं के जरिए भाजपा महिलाओं में अपनी पैठ बना चुकी है और इसका चुनावी लाभ उसे 2014 से मिल रहा है। ऐसे में इसकी काट के लिए सपा ने ‘पीडीए’ महिलाओं का समर्थन हासिल करने के लिए उनके आरक्षण का मुद्दा उछाला है और ‘इंडिया’ गठबंधन भी इस पर फोकस कर रहा है। अखिलेश 2019 के बाद से पिछड़ा दलित वोट को साधने में लगे हैं। इसीलिए अखिलेश यादव ने कहना शुरू दिया कि हम लोग अम्बेडकरवादी व लोहियावादी हैं।
इसके बाद अम्बेडकर वाहिनी का गठन कर दिया गया है। इस कवायद का नतीजा यह हुआ कि 2017 से 2022 के बीच पांच साल में सपा के वोट शेयर में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो गई। 9 अगस्त से सपा की चल रही ‘देश बचाओ व देश बनाओ’ साइकिल यात्रा में भी ओबीसी महिलाओं को आरक्षण दिए जाने व जातिगत जनगणना की मांग हो रही है। इसमें जनता के बीच कहा जा रहा है कि जब तक जातिगत जनगणना नहीं होगी तब तक महिला आरक्षण भी संभव नहीं है।