लोकसभा चुनाव के लिए अयोध्या में दलित नेता अवधेश पर अखिलेश यादव का दांव, कहां है निशाना?

पा ने मंगलवार को लोकसभा चुनाव के लिए पहली सूची जारी करते हुए 16 प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया। इनमें पांच बार के कैबिनेट मंत्री और नौ बार मिल्कीपुर के विधायक अवधेश प्रसाद का भी नाम है।दलित नेता अवधेश प्रसाद को सपा ने उसी अयोध्या (फैजाबाद लोकसभा सीट) से मैदान में उतारा है जहां श्रीराम का मंदिर बनाकर भाजपा पूरे देश में अपने लिए महौल बनाने में जुटी है। अखिलेश यादव ने यहां से दलित कार्ड खेलकर सियासी जानकारों को चौंका दिया है। यह साफ हो गया है कि सपा हाईकमान ‘पीडीए’ को चुनावी हथियार बनाकर रण में कूदने की तैयारी में है। सपा ने अब अवधेश प्रसाद के टिकट पर मुहर लगाकर पहले पायदान पर सियासी चाल चल दी है।

अवधेश प्रसाद को टिकट देकर पूर्वांचल की सियासत के माहिर खिलाड़ी रहे पूर्व सांसद स्व. मित्रसेन यादव समर्थकों को मायूस कर दिया है। स्व. यादव के बेटे पूर्व मंत्री आनंद सेन का भी नाम टिकट की रेस में था और समर्थक दबी जुबां से अंतिम तक उन्हें ही चुनाव लड़ाने की वकालत करते नजर आ रहे थे। आनंद सेन के साथ कुछ अन्य चेहरे जो पर्दे के पीछे से टिकट की आस लगाए बैठे थे, उन्हें भी मायूसी लगी है। सबसे पहले प्रत्याशियों की सूची जारी करके सपा ने सियासत की पहली सीढ़ी पर चढ़ना शुरू कर दिया है। जबकि अभी चुनाव आयोग की दुदंभी बजने में दो महीने का समय है।

अवधेश प्रसाद वर्ष 1977 से ही सपा संस्थापक मुलायम सिंह के शार्गिद रहे। जब 1989 में मुलायम पहली बार सीएम बने तो अवधेश का विधायकों को जुटाने अहम रोल रहा। उसके बाद से जब भी प्रदेश में सपा की सरकार बनी हमेशा कैबिनेट की पहली कतार में शपथ लेते नजर आए। मंगलवार को टिकट फाइनल होने पर विधायक अवधेश प्रसाद समर्थकों संग अयोध्या हनुमानगढ़ी पहुंचे और दर्शन पूजन किया।

अयोध्या ही होगा भाजपा का मुख्य एजेंडा

इस बार के लोकसभा चुनाव में अयोध्या और श्रीराम का मंदिर ही भाजपा का मुख्य एजेंडा रहने की उम्मीद है। ऐसे में अखिलेश ने अयोध्या से दलित प्रत्याशी देकर कई संदेश देने की कोशिश की है। अखिलेश लगातार यह ऐलान करते रहे हैं कि पीडीए (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) ही एनडीए को हराएगा। ऐसे में अयोध्या जैसी भाजपा के लिए सबसे प्रतिष्ठित सीट पर दलित को उतारकर उन्होंने इस लड़ाई को बेहद रोचक बनाने की ओर बड़ा कदम बढ़ा दिया है।

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