‘आप’ का डर?

एक सनसनीखेज दावा करते हुए अरविंद केजरीवाल सरकार की वरिष्ठ मंत्री आतिशी मार्लेना ने आरोप लगाया कि दिल्ली में केजरीवाल सरकार को गिराकर राष्ट्रपति शासन लगाने की साजिश रची जा रही है। उन्होंने उपराज्यपाल के द्वारा गृह मंत्रालय को लिखे गए पत्र पर भी आपत्ति जताई।ध्यान देने वालों बात यह है की अरविंद केजरीवाल और अन्य आम आदमी पार्टी नेता लगातार यह कह रहे हैं कि अरविंद केजरीवाल जेल से ही दिल्ली सरकार चलाएंगे। संविधान में कहीं भी जेल से सरकार चलाने को लेकर कोई प्रतिबंध नहीं है और इस कारण अरविंद केजरीवाल जेल से सरकार चलाने के लिए स्वतंत्र हैं। वहीं, भाजपा लगातार कह रही है कि जेल से सरकार चलाना संभव नहीं है। व्यावहारिक बाध्यताओं के साथ-साथ नैतिकता के आधार पर भी जेल से सरकार चलाना सही नहीं है और इस कारण अरविंद केजरीवाल को तत्काल अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए। अरविंद केजरीवाल शराब घोटाले की जांच को लेकर 21 मार्च से जेल में बंद हैं। बीते 17 फरवरी को ही अरविंद केजरीवाल सरकार ने दिल्ली विधानसभा के पटल पर अपना बहुमत साबित किया था। पर देखा जाए तो कानून-व्यवस्था के फेल होने के आधार पर उपराज्यपाल केंद्र सरकार से दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाने की अपील कर सकते हैं। लेकिन अभी तक केंद्र की तरफ से ऐसा कोई प्रयास होता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है, जिससे यह अनुमान लगाया जा सके कि केंद्र सरकार दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाने की ओर बढ़ रहा है।इसका एक बड़ा कारण यही हो सकता है कि भाजपा इस कदम के राजनीतिक नफे-नुकसान का आकलन कर रही हो। अभी तक नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने दस साल के कामकाज में किसी एक भी राज्य में राष्ट्रपति शासन नहीं लगाया है। यदि वह दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाती है, तो इससे विपक्ष को यह कहने का अवसर मिल सकता है कि केंद्र सरकार विपक्षी सरकारों को परेशान कर रही है। वह दूसरे मामलों को लेकर पहले ही केंद्र पर हमलावर है। ऐसे में यदि दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगे तो इससे विपक्ष के दावों को बल मिल सकता है। केंद्र सरकार चुनावों के बीच ऐसा कदापि नहीं चाहेगी। दूसरी बात जेल से सरकार चलाने को लेकर कई तरह की व्यावहारिक दिक्कतों की बात कही जा रही है। मुख्यमंत्री को हर सप्ताह अन्य मंत्रियों के साथ बैठक करनी होती है, उसे उपराज्यपाल से मिलना होता है, दूसरे विभागों के मंत्रियों-अधिकारियों से मंत्रणा लेनी होती है और महत्त्वपूर्ण कागजातों पर हस्ताक्षर करने होते हैं। लेकिन जेल मैनुअल के अनुसार जेल में किसी सजायाफ्ता या हिरासत में बंद कैदी को इस तरह लोगों से मिलने की खुली छूट नहीं दी जा सकती। ऐसे में प्रशासन के जानकारों का मानना है कि जेल से सरकार चलाना संभव नहीं है।वास्तव मे आप को कोई बयान देने की बजाय इस बात पर विचार करना चाहिए कि दिल्ली का प्रशासन कैसे सुचारु रूप से चलाया जाए, जिससे जनता के कार्यों में कोई परेशानी न आए। इस समय सभी विभागों के कामकाज प्रभावित हो रहे हैं और इससे जनता का नुकसान हो रहा है। चूंकि अभी तक ये विभाग किसी को सौंपे नहीं गए हैं, इस लिए लोगों का नुकसान हो रहा है।

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