आजम खान सजा पर बोले; इंसाफ और फैसले में अंतर होता है; दूसरी बार परिवार के साथ गए जेल

पा नेता आजम खान को बेटे अब्दुल्ला के फर्जी जन्म प्रमाण पत्र के मामले में बुधवार को सात साल की सजा सुना दी गई। आजम के साथ ही उनकी पत्नी और बेटे को भी सात-सात साल की सजा हुई है। सजा के बाद तीनों को जेल भी भेज दिया गया।सजा सुनाए जाने के बाद आजम खान ने अपने चिरपरिचित अंदाज में कहा कि इंसाफ और फैसले में अंतर होता है। यह इंसाफ नहीं है, फैसला हुआ है। वह फैसला हुआ है, जिसे पूरा शहर कल से जान रहा था। मीडिया से लेकर हर शख्स को यह पता था कि हमें कितनी सजा होगी। बस हमें आज बताया गया। आगे क्या करना है, हमारे वकील कोर्ट के फैसले का अध्ययन करने के बाद तय करेंगे।आजम खान तीन साल में दूसरी बार जेल जाना पड़ा है। इससे पहले वह पत्नी-बेटे के संग 26 फरवरी 2020 को जेल गए थे। हालांकि, तब उन्होंने कोर्ट में सरेंडर किया था और आज बुधवार को उन्हें सजा सुना दी गई।दो जन्म प्रमाण पत्र के मुकदमे में सम्मन के बाद भी कोर्ट में हाजिर न होने पर आजम खान, डा.तजीन फातिमा और अब्दुल्ला आजम के खिलाफ दिसंबर 2019 में धारा 82 की कार्रवाई करते हुए नोटिस जारी की गई थी। जिस पर पुलिस ने जनवरी में शहर में कुर्की की मुनादी कराई थी। इसी के बाद 26 फरवरी 2019 को आजम खां, तजीन फातिमा और अब्दुल्ला आजम ने कोर्ट में सरेंडर किया था, जिस पर न्यायिक अभिरक्षा में तीनों को जेल भेज दिया गया था।

सजायाफ्ता होने के बाद जा चुकी है पिता-पुत्र की विधायकी
रामपुर। सपा के राष्ट्रीय महासचिव मोहम्मद आजम खां और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खां को पहले भी कोर्ट से दो बार सजा हो चुकी है। सजा के कारण ही पिता-पुत्र को अपनी विधायकी भी गंवानी पड़ी।
आजम खां को पहली बार भड़काऊ भाषण देने के मामले में बीते वर्ष एमपी-एमएलए कोर्ट ने सजा सुनाई। जिस पर उनकी विधायकी छिन गई। हालांकि, इस केस में उन्होंने सेशन कोर्ट में अपील की और वहां से निर्दोष साबित हो गए।

इसी तरह मुरादाबाद के छजलैट प्रकरण में आजम खां और अब्दुल्ला आजम दोनों को सजा सुनाई गई। इसमें अब्दुल्ला आजम की विधायकी छिनी थी। हालांकि, यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। जिसमें अब्दुल्ला आजम ने खुद को नाबालिग बताया, जिस पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पूरा प्रकरण दोबारा से देखा जा रहा है।

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