क्या रामलला की वजह से भाजपा के साथ लौटे नीतीश? शपथ के दौरान जय श्रीराम के नारे

नीतीश कुमार ने नौवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है। आरजेडी और कांग्रेस का साथ छोड़कर उन्होंने एक बार फिर से एनडीए में वापसी कर ली है। शपथ ग्रहण के दौरान राजभवन में भाजपा औऱ जेडीयू के नेता ‘जय श्री राम’ के भी नारे लगाते नजर आए।राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इंडिया गठबंधन से नीतीश कुमार के यूटर्न के पीछे राम मंदिर भी बड़ी वजह है। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद जिस तरह से देश में राम लहर दिखाई दी है, उसने नीतीश कुमार को भी भाजपा की ओर मुड़ने पर मजबूर कर दिया।

राम मंदिर के आगे फेल दिखे सारे मुद्दे
जानकारों का कहना है कि आने वाले 2024 के चुनाव में भाजपा राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को मुद्दा बनाने जा रही है। इस मामले के साथ देश का बड़ा हिंदू समुदाय जुड़ा है। जिस तरह से प्राण प्रतिष्ठा से पहले पूरा देश राममय नजर आया, उससे विपक्षी दलों में भी खलबली मच गई। कांग्रेस नेताओं ने न्योता मिलने के बाद भी प्राण प्रतिष्ठा में जाने से इनकार कर दिया।

इंडिया गठबंधन से नाराज थे नीतीश
इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर नीतीश कुमार असहज नजर आ रहे थे। वहीं मल्लिकार्जुन खरगे को गठबंधन का अध्यक्ष बनाए जाने के बाद नीतीश की नाराजगी खुलकर सामने आ गई। पहले ममता बनर्जी ने खरगे को प्रधानमंत्री चेहर के रूप में प्रस्तावित कर दिया। बाद में उन्हें इंडिया गठबंधन का अध्यक्ष बना दिया गया। इसपर नीतीश कुमार ने संयोजक का पद ठुकरा दिया। नीतीश कुमार ने कहा कि इंडिया गठबंधन काम नहीं कर रहा है।

कर्पूरी ठाकुर को मिला भारत रत्न
जब भाजपा राम मंदिर की बात कर रही थी तब जेडीयू ने कर्पूरी ठाकुर का साथ पकड़ा। नीतीश कुनार ने सभा को संबोधित करते हुए कर्पूरी ठाकुर का नाम लिया और वंशवा की राजनीति पर निशाना साधा। यह साफ लग रहा था कि उनका निशाना लालू प्रसाद यादव और राहुल गांधी पर है। वहीं केंद्र सरकार पहले ही भारत रत्न के लिए कर्पूरी ठाकुर के नाम का ऐलान कर चुकी थी। नीतीश कुमार ने दावा किया कि वह कर्पूरी ठाकुर के ही रास्ते पर चलना चाहते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *