अगले एक महीने के अंदर कभी भी लोकसभा चुनावों का ऐलान हो सकता है। इसके मद्देनजर भाजपा लगातार प्रत्याशियों पर मंथन कर रही है तो वहीं सपा ने तो 16 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट भी जारी कर दी है।यह सूची तब जारी की गई है, जबकि कांग्रेस से उसका सीटों को लेकर समझौता भी नहीं हो सका है। ऐसे में कांग्रेस और सपा के बीच मतभेद क्यों पैदा हो गए हैं, इसे लेकर चर्चा हो रही है। यदि चुनाव सिर पर ही हैं और सीटों की लिस्ट अब भी तय नहीं हो पा रही है तो यह चिंता की बात है। इसे लेकर सपा सूत्रों का कहना है कि अखिलेश यादव सीटों के बंटवारे को लेकर तत्पर हैं।
सपा सूत्रों का कहना है कि अखिलेश यादव तो 11 सीटों का ऑफर कांग्रेस को दे ही चुके हैं। लेकिन वह कांग्रेस को सपा के MY समीकरण के अहम हिस्से M यानी मुस्लिम वोट बैंक को नहीं सौंपना चाहते। सपा और कांग्रेस के बीच मुख्य मतभेद इसी बात को लेकर है। कांग्रेस ने कुल 28 सीटों की लिस्ट सपा को दी थी और अंत में 20 सीटों पर सहमति जताने की बात थी। इन 20 सीटों में भी ज्यादातर वही हैं, जहां मुस्लिमों की अच्छी आबादी है। कांग्रेस को लगता है कि यहां उसकी दावेदारी मजबूत रहेगी, जबकि सपा का मानना है कि इन सीटों पर तो वास्तविक हकदारी उसकी है।
कांग्रेस जिन सीटों की मांग कर रही है, उनें फर्रूखाबाद, कानपुर, लखीमपुर खीरी, रामपुर और मुरादाबाद शामिल हैं। इनके अलावा पूर्वांचल में महाराजगंज, डुमरियागंज, बहराइच और बारांबकी पर उसकी नजर है। यही नहीं बलिया से अजय राय और भदोही से राजेश मिश्रा को कांग्रेस उतारना चाहती है। वहीं बाराबंकी से कांग्रेस के तनुज पूनिया की दावेदारी बताई जा रही है, जो पीएल पूनिया के बेटे हैं। इस पर सपा का कहना है कि फर्रूखाबाद पर फैसला आजम खान की सहमति से ही होगा। इसके अलावा हम अमेठी और रायबरेली छोड़ना चाहते हैं। यही नहीं अवध और पश्चिम की कुछ सीटें भी दे देंगे, लेकिन मुरादाबाद, रामपुर जैसी सीटों पर कांग्रेस दावा न करे।
अब तक मिली जानकारी के अनुसार सपा ने कांग्रेस को जिन सीटों को देने की बात कही है, उनमें अमेठी और रायबरेली के अलावा जौनपुर, झांसी, आगरा, फतेहपुर सीकरी, गाजियाबाद, बुलंदशहर, सहारनपुर, नोएडा और वाराणसी शामिल हैं। सपा तो पहले से ही अमेठी और रायबरेली में उम्मीदवार नहीं देती थी। ऐसे में इन दोनों सीटों के अलावा उसने जो सीटें कांग्रेस को ऑफर की हैं, वहां भाजपा बेहद मजबूत है। यही वजह है कि कांग्रेस की इन पर दिलचस्पी नहीं है। ऐसे में बात बनना मुश्किल ही लग रहा है।