छपरा-लखनऊ रेल रूट पर जगतबेला से मगहर के बीच आटोमेटिक सिग्नल सिस्टम लगाने का काम पूरा हो गया है। अब 15 अप्रैल तक इंटरलॉकिंग का काम होगा। इसके बाद 16 अप्रैल को सेफ्टी अधिकारी काम का निरीक्षण करेंगे।सीआरएस की हरी झंडी के बाद इस सेक्शन आगे-पीछे तीन ट्रेनें चल सकेंगी। एनईआर का यह पहला सेक्शन है जहां से एब्सल्यूट सिग्नल को हटाकर आटोमेटिक सिस्टम लगाया गया है। पहले फेज में लखनऊ से गोरखपुर के बीच 272 किलोमीटर लंबी रेल लाइन पर ऑटोमेटिक सिस्टम लगाया जा रहा है। दूसरे चरण में गोरखपुर-भटनी-छपरा रूट पर भी आटोमेटिक सिस्टम अपग्रेड किया जाएगा।
क्या है आटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग सिस्टम
आटोमेटिक ब्लॉक सिग्नल सिस्टम में ट्रेनें एक के पीछे एक चलती रहेंगी। बेवजह यार्ड में खड़ी नहीं होंगी। इस सिस्टम से रेल लाइनों पर रफ्तार बढ़ेगी। साथ ही ट्रेनों की औसत रफ्तार में भी इजाफा होगा। अभी एब्सल्यूट सिग्नल सिस्टम में आगे चल रही ट्रेन के अलगा स्टेशन पार करने के बाद ही पीछे वाली ट्रेन को सिग्नल मिलता है।
हर एक किलोमीटर पर लगाए जाएंगे सिग्नल
नई व्यवस्था में स्टेशन यार्ड के डबल डिस्टेंस सिग्नल से आगे प्रत्येक एक किलोमीटर पर सिग्नल लगाए जा रहे हैं। सिग्नल के सहारे ट्रेनें एक-दूसरे के पीछे चलती रहेंगी। अगर आगे वाले सिग्नल में तकनीकी खामी आती है तो पीछे चल रही ट्रेनों को भी सूचना मिल जाएगी। जो ट्रेन जहां रहेंगी, वहीं रुक जाएंगी।
बेवजह लेट नहीं होंगी गाड़ियां
इस सिस्टम के लागू हो जाने से ट्रेनें सिग्नल की वजह से यार्ड या स्टेशन पर खड़ी नहीं होंगी। अभी तक जो सिस्टम है उसमें एक स्टेशन से ट्रेन छूटने के बाद दूसरे स्टेशन पहुंचने के बाद खड़ी ट्रेन को छोड़ा जाता है। मसलन, गोरखपुर से ट्रेन चलने के बाद अगले स्टेशन डोमिनगढ़ पार कर लेने के बाद ही गोरखपुर से दूसरी ट्रेन चलाई जाती है। नई व्यवस्था के बाद ट्रेन के गोरखनाथ पुल पार कर लेने के बाद ही गोरखपुर जंक्शन से दूसरी ट्रेन रवाना कर दी जाएगी।
14 से 16 अप्रैल तक 30 ट्रेनें रद्द
सिग्नल को इंटरलॉक करने के लिए 14 अप्रैल से 16 अप्रैल की शाम 4 बजे तक यातायात ब्लाक लिया गया है। इसके चलते 30 ट्रेनें रद की गई हैं। इसके अलावा 22 ट्रेनों का रूट बदला गया हैं। वहीं आठ ट्रेने ऐसी हैं जो सहजनवा और मगहर में नहीं रुकेंगी।