अंदर से नहीं टनल के ऊपर से सुराख कर 41 को मिलेगा जीवनदान, 60 चीड़ के पेड़ों को देना होगा बलिदान

त्तरकाशी टलन हादसे में फंसे लोगों की जान बचाने को नया प्लान बनाया गया है। रेस्क्यू टीम द्वारा कई बार टनल के अंदर से फंसे लोगों को रेस्क्यू करने में विफलता के बाद अब एक एक और तरीका अपनाया जा रहा है।

पीएमओ के सक्रिय होते ही सिलक्यारा में नए विकल्पों पर तेजी से काम शुरू हुआ है।

टनल के ऊपर सुराख बनाने के लिए शनिवार को सड़क बनाने का काम शुरू कर दिया गया था। जेसीबी के जरिए टनल के ऊपर जाने के लिए रास्ता तैयार किया जा रहा है। पीएमओ के उपसचिव मंगेश घिल्डियाल ने सुबह मौके पर आकर पहाड़ी का खुद भी मुआयना किया था।

दोपहर हेलीकॉप्टर के जरिए एरियल सर्वे किया गया। सूत्रों के अनुसार, बीते रोज एचआईडीसीएल द्वारा किए गए सर्वे में टनल के ऊपर पहाड़ी को 103 मीटर ऊंचा पाया गया था। विशेषज्ञ और अधिक अनुकूल स्थान को भी चिह्नित करेंगे।

सड़क के लिए कटेंगे चीड़ के करीब 60 पेड़
टनल के ऊपर से सुराख बनाने के लिए सड़क बनाई जा रही है। इसकी जद में करीब 50 से 60 चीड़ के पेड़ आ रहे हैं। इन्हें भी काटा जा रहा है।

बचाव अभियान की कमान पीएमओ की टीम पर
नए सिरे से शुरू हुए रेस्क्यू ऑपरेशन में पीएमओ की टीम समन्वय करेगी। इसमें पीएमओ के ओएसडी-टूरिज्म भास्कर खुल्बे, उपसचिव मंगेश घिल्डियाल, उप सचिव महमूद अहमद, जियोलॉजिस्ट इंजीनियर वरूण अधिकारी, एक्सपोर्ट इंजीनियर अरमांडो कैपलैन शामिल हैं।

सिलक्यारा टनल में दोबारा ड्रिलिंग के प्रयास
उत्तरकाशी के सिलक्यारा में अंदर फिट ऑगर मशीन से दोबारा ड्रिलिंग को जल्द शुरू हो सकती है। यहां मशीन के अत्यधिक चलने की वजह से कंपन हो रहा है। यह कंपन भी मलबे के गिरने की वजह माना जा रहा है।

एचआईडीसीएल विशेषज्ञों के अनुसार अब से टनल में काम शुरू होने पर कुछ कुछ ब्रेक रखते हुए मशीन को चलाया जाएगा। ऑगर मशीन के बाहरी हिस्से को मलबे से बचाने के लिए शेड से ढका जा रहा हेै। जल्द दोबारा ड्रिलिंग होने की उम्मीद है।

पुराने रेस्क्यू अभियानों से भी ली जा रही मदद
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सिलक्यारा सुरंग आपदा से निपटने के लिए देश और दुनिया में चले पुराने सुरंग रेस्क्यू के अनुभवों के आधार पर कार्य किए जा रहे हैं। हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर समेत दुनिया के कई देशों में सुरंग निर्माण और आपदा के बाद हुए रेस्क्यू की तकनीकी को अपनाया जा रहा है।

इसके साथ ही पीर पंजाल, अटल सुरंग, भंवर टोंक, संगलदान जैसी बड़ी सुरंग निर्माण और मलबा गिरने के बाद किए गए रेस्क्यू अभियान की जानकारी जुटाई जा रही है। इसी के अनुसार रेस्क्यू टीम श्रमिकों को बाहर निकालने के प्रयास में जुटी हैं।

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