शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने पर फैसला करे यूपी सरकार, हाईकोर्ट ने जारी किया आदेश

लाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि शिक्षामित्रों को सम्मानजनक और आजीविका के लिए आवश्यक मानदेय का भुगतान करे। कोर्ट ने कहा कि मौजूदा समय में शिक्षामित्रों का मानदेय बहुत कम है इसलिए सरकार एक उच्चस्तरीय कमेटी गठित कर मानदेय वृद्धि पर निर्णय ले।हालांकि कोर्ट ने शिक्षामित्रों द्वारा समान कार्य समान वेतन के सिद्धांत पर सहायक अध्यापकों के बराबर वेतन देने की मांग को अस्वीकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि इस मुद्दे पर निर्णय किसी विशेषज्ञ समिति द्वारा लिया जाना चाहिए इसलिए याची राज्य सरकार के सक्षम प्राधिकारी से इस संबंध में संपर्क करें। सक्षम प्राधिकारी उनकी मांग पर सहानुभूतिपूर्वक विचार कर निर्णय ले। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने जितेंद्र कुमार भारतीय और दर्जनों शिक्षामित्रों की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।याचियों का पक्ष रख रहे अधिवक्ता सत्येंद्र चंद्र त्रिपाठी और अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी का कहना था कि वर्ष 1998 के शासनादेश के तहत प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षामित्रों की नियुक्ति की गई। यह नियुक्ति एक वर्ष की अवधि के लिए संविदा के आधार पर की गई थी, जिसे प्रत्येक वर्ष रिन्यू किया जाता है। तब से लगभग 18 वर्षों से शिक्षामित्र नियमित रूप से नियुक्त सहायक अध्यापकों की तरह ही काम कर रहे हैं लेकिन उन्हें काफी कम मानदेय दिया जाता है।अधिवक्ताद्वय ने समान कार्य के लिए समान वेतन के सिद्धांत पर शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापकों के समान वेतन दिए जाने या कम से कम न्यूनतम वेतनमान दिए जाने की मांग की। यह भी कहा गया कि शिक्षामित्रों को मिलने वाला मानदेय पुनरीक्षित किया जाए। याचियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट के कई न्यायिक निर्णय का हवाला देकर समान कार्य के लिए समान वेतनमान दिए जाने की मांग की गई।दूसरी ओर से राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि याची समान कार्य के लिए समान वेतन पाने के हकदार नहीं हैं क्योंकि वे संविदा पर कार्य कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में निर्विवाद रूप से शिक्षामित्र और सहायक अध्यापकों की नियुक्ति का तरीका भिन्न है। याची संविदा पर नियुक्त किए गए हैं। ऐसी स्थिति में कोर्ट यह तय नहीं कर सकती कि वे समान कार्य के लिए समान वेतन पाने के हकदार हैं या नहीं। हालांकि कोर्ट ने माना कि शिक्षामित्रों का मानदेय काफी कम है। जिसे मौजूदा वित्तीय ढांचे और आजीविका की आवश्यकता के मद्देनजर बढ़ाए जाने और सम्मानजनक मानदेय देने की आवश्यकता है।

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