यूपी में राज्यसभा चुनाव ने बीजेपी के लिए लोकसभा की जमीन भी तैयार कर दी है। सपा के सात विधायकों ने क्रास वोटिंग करते हुए भाजपा प्रत्याशियों को वोट दिया है। एक विधायक गैरहाजिर रही हैं।यह टूट भले ही सपा के विधायकों की दिख रही हो लेकिन इससे असल खतरे में कांग्रेस का गढ़ अमेठी और रायबरेली आ गया है। इन आठ विधायकों में से तीन अमेठी और रायबरेली से ही हैं। दोनों जिलों में अब भाजपा की स्थिति पहले से भी मजबूत हो गई है। रायबरेली की ऊंचाहार सीट से सपा विधायक मनोज पांडे के पास मुख्य सचेतक तक का पद था, इसके बाद भी वह भाजपा के पाले चले गए हैं। मनोज के अलावा अमेठी-रायबरेली में दबदबा रखने वाले तीन विधायकों ने पाला बदल लिया है। इस पाला बदल का असर लोकसभा चुनाव में पड़ना लाजिमी माना जा रहा है। बीजेपी पिछले चुनाव में जिन 16 सीटों पर हारी थी, उनमें रायबरेली भी शामिल है। कांग्रेस ने पिछले चुनाव में यूपी में मात्र यही सीट जीती थी।
मनोज पांडेय के पाला बदलने के साथ ही उन्हें रायबरेली का भावी लोकसभा प्रत्याशी भी माना जाने लगा है। यहां तक कि रायबरेली में सोनिया गांधी को टक्कर देने वाले प्रदेश के मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने भी एक्स पर पोस्ट कर लिख दिया है कि जिसे भी प्रत्याशी बनाया जाएगा उसका पूरा समर्थन होगा। पिछले चुनाव में भाजपा के टिकट पर उतरे दिनेश प्रताप सिंह ने सोनिया की जीत का अंतर 1.6 लाख वोटों तक समेट दिया था। उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा कि कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन चुनाव लड़ता है, भले ही वह मनोज पांडे ही क्यों न हों, मैं यह सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ूंगा कि भाजपा इस सीट पर जीत हासिल करे।2004 के लोकसभा चुनाव में रायबरेली में सोनिया की जीत का अंतर 2.5 लाख वोटों का था। 2006 के उप-चुनावों में यह बढ़कर 4.17 लाख वोट हो गया, जब उनके सभी विरोधियों की जमानत जब्त हो गई, लेकिन 2009 में यह थोड़ा कम होकर 3.7 लाख रह गया। 2014 में नरेंद्र मोदी की लहर के बाद भी वह 3.5 लाख वोटों से जीती थी। भाजपा की कोशिश लगातार कांग्रेस को उसके गढ़ अमेठी और रायबरेली में कमजोर करने की रही है।विधानसभा में कांग्रेस की स्थिति की बात करें तो अदिति सिंह ने रायबरेली सदर और राकेश सिंह हरचंदपुर से जीत हासिल की थी। 2017 में रायबरेली में कांग्रेस यही दो सीट जीत सकी थी। बाद में दोनों भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा ने दोनों को 2022 के विधानसभा चुनाव में लड़ाया और दोनों जीत गए।
मनोज पांडेय के अलावा अमेठी के गौरीगंज से सपा विधायक राकेश प्रताप सिंह ने भी भाजपा के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की है। उन्होंने कहा कि अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनी और भगवान राम के नाम पर वोट दिया है। अमेठी में अमेठी विधानसभा क्षेत्र से एक अन्य सपा विधायक महराजी प्रजापति ने मतदान में हिस्सा ही नहीं लिया। गैरहाजिर रहने से भी सपा को नुकसान हुआ है।अगले लोकसभा चुनाव के लिए सपा और कांग्रेस ने गठबंधन किया है। सपा ने कांग्रेस को जिन 17 सीटों को दिया है उनमें रायबरेली और अमेठी भी शामिल है। भाजपा नेताओं ने कहा कि राज्यसभा चुनाव में सपा के बागियों के जरिए पार्टी अब कांग्रेस से गढ़ों को ढहाने में जुटी है।
राज्यसभा चुनाव में मंगलवार को चार विधायक गैरहाजिर थे। इनमें सपा विधायक महाराजजी भी शामिल हैं। उन्हें इससे पहले स्मृति ईरानी द्वारा गौरीगंज में उनके नए घर में आयोजित कार्यक्रमों में देखा गया था। तीन अन्य जिन्होंने वोट नहीं दिया, उनमें सपा के इरफान सोलंकी और रमाकांत यादव और सुभासपा के अब्बास अंसारी हैं। तीनों जेल में हैं।अमेठी-रायबरेली में राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान स्थानीय पार्टी नेताओं के साथ-साथ कुछ स्थानीय निवासियों ने मांग की थी कि राहुल 2019 में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के खिलाफ अमेठी और प्रियंका गांधी रायबरेली से लड़ें। रायबरेली से सोनिया गांधी ने उम्र और खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए पहले ही राज्यसभा का रास्ता अपनाने का फैसला कर लिया है।स्मृति ईरानी लगातार अमेठी में एक्टिव हैं। वह जन संवाद विकास यात्रा के साथ अपने इलाके में लगातार लगी हुई हैं। अमेठी में कांग्रेस केवल तीन बार हारी है। कांग्रेस प्रवक्ता सीपी राय ने कहा कि चाहे कोई भी चुनाव लड़े, पार्टी अमेठी और रायबरेली दोनों जगह आसानी से जीतेगी।उन्होंने कहा कि यह दुखद है कि मनोज पांडे जैसे वरिष्ठ नेताओं ने एक महत्वपूर्ण चुनाव से ठीक पहले भाजपा का समर्थन करने का फैसला किया। लेकिन चाहे कोई भी हमारे खिलाफ चुनाव लड़े, कांग्रेस अमेठी और रायबरेली दोनों में आसानी से जीत हासिल करेगी।