लोकसभा चुनाव के लिए यूपी में सीटों के बंटवारे पर होने वाली सपा और कांग्रेस की बैठक कैंसिल हो गई है। इससे इंडिया गठबंधन में शामिल दोनों बड़े दलों और यूपी जैसे सबसे ज्यादा सीटों वाले राज्य को लेकर असमंजस और बढ़ गई है।सपा की तरफ से बना पैनल बैठक के लिए दिल्ली पहुंच भी गया था। कांग्रेस ने ऐसे समय में बैठक कैंसिल की है जब अखिलेश यादव के अल्टीमेटम की डेडलाइन मकर संक्रांति भी करीब है। यह बैठक कांग्रेस की तरफ से बनी समिति के प्रमुख मुकुल वासनिक के साथ उन्हीं के आवास पर दिल्ली में होनी थी। कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि यूपी प्रदेश अध्यक्ष अजय राय और प्रदेश प्रभारी अविनाश के यात्राओं और अन्य कार्यक्रम में व्यस्त होने के कारण अभी आ पाना संभव नहीं है।
शुक्रवार को ही सपा की तरफ से इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग पर बातचीत के लिए आधिकारिक पैनल की घोषणा की गई थी। सपा का यही पैनल बातचीत फाइनल करेगा। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की तरफ से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखकर पैनल की जानकारी दी गई थी। पैनल में सपा महासचिव रामगोपाल यादव, राज्यसभा सांसद जावेद अली, विधायक लालजी वर्मा, विधायक संग्राम सिंह यादव और पूर्व एमएलसी उदयवीर सिंह को शामिल किया गया है।
सपा के पैनल में शामिल और पार्टी के प्रवक्ता उदय वीर ने बताया कि हम लोग बैठक के लिए दिल्ली पहुंच गए थे। इसी बीच कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद का फोन सपा महासचिव रामगोपाल यादव के पास आया। खुर्शीद ने बताया कि उनके स्टेट लेवल के पदाधिकारियों की तैयारी पूरी नहीं हो सकी है। यूपी अध्यक्ष अजय राय और यूपी प्रभारी अविनाश भी अलग-अलग कार्यक्रमों में व्यस्त हैं। दोनों नेता आज नहीं पहुंच पाएंगे।
उन्होंने अनुरोध किया कि ऐसे में आज की बैठक कैंसिल कर दी जाए। जब एक पक्ष बैठक के लिए तैयार नहीं है तो दूसरा पक्ष क्या कर सकता है। उदयवीर ने संभावना जताई कि दो तीन दिनों बाद फिर से बैठक हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल सीटों के लिए कोई फार्मूला पिछली बैठक में भी तय नहीं हो सका था।
अखिलेश के अल्टीमेटम का क्या होगा?
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने राहुल गांधी की 15 जनवरी से शुरू हो रही न्याय यात्रा को लेकर पूछे गए सवाल पर पिछले दिनों कांग्रेस को अल्टीमेटम दे दिया था। अखिलेश का कहना था कि उस यात्रा से पहले ही सीटों का बंटवारा हो जाना चाहिए। इससे प्रत्याशी घोषित कर दिए जाएंगे और यह प्रत्याशी यात्रा में जोश के साथ शामिल भी होंगे।
अखिलेश ने यह भी कहा था कि सूर्य के उत्तरायण में जाने से पहले ही यह सब हो जाना चाहिए। अखिलेश की इच्छा है कि मकर संक्रांति के तत्काल बाद सपा प्रत्याशियों का एलान कर दिया जाए। अब जबकि बैठक टल गई है तो मकर संक्रांति से पहले दोबारा होने की संभावना नहीं दिख रही है। ऐसे में सपा प्रमुख के अल्टीमेटम पर निगाहें भी टिक गई हैं।
कहां फंस रहा है पेच
दोनों दलों के बीच बुधवार को भी बैठक हुई थी लेकिन कोई फैसला नहीं हो सका था। कांग्रेस को 2024 में किन सीटों पर चुनाव लड़ना है, उसका प्रस्ताव सपा नेताओं को सौंपा था। सपा नेताओं ने सीट शेयरिंग का अपना फॉर्मूला कांग्रेस को दिया था। सपा फिलहाल कांग्रेस को यूपी में अमेठी और रायबरेली सीट पर चुनाव लड़ने की हरी झंडी दे चुकी है, लेकिन बाकी सीटों को लेकर सहमति नहीं बन सकी थी।
कहा जा रहा है कि कांग्रेस ने प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों को तीन श्रेणी में बांट कर प्लान बनाया है। पहली प्राथमिकता श्रेणी में 35 सीटें रखी गई हैं जबकि दूसरी प्राथमिकता में 25 और तीसरी प्राथमिकता में 20 सीटें शामिल हैं। तीनों श्रेणी की सभी सीटों पर संभावित उम्मीदवार, वोटबैंक की स्थिति, सियासी समीकरण का ब्यौरा अजय राय ने जुटाया है। जबकि सपा कांग्रेस को 10 से 12 सीटें देने के मूड में है। सपा की ओर से महासिचव रामगोपाल यादव और जावेद अली कांग्रेस के साथ सीट बंटवारे को लेकर बातचीत कर रहे हैं।
सूत्रों की मानें तो सीट शेयरिंग का जो फॉर्मूला तैयार कर किया गया है, उसके तहत सपा 50 से 52 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। कांग्रेस यूपी में 18 से 20 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। आरएलडी को पांच सीटें मिल सकती हैं। इसके अलावा दलित नेता चंद्रशेखर आजाद के लिए एक सीट छोड़ी जा सकती है। चंद्रशेखर ने नगीना सीट से चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रखी है। महान दल के केशव देव मौर्य को भी एक सीट दी जा सकती है लेकिन वह सपा के सिंबल पर चुनाव लड़ सकते हैं।
कहीं मायावती का इंतजार तो नहीं कर रही कांग्रेस
कांग्रेस एक तरफ इंडिया गठबंधन में शामिल दलों के साथ ही सीट शेयरिंग की बातचीत की वकालत कर रही है तो दूसरी तरफ यूपी में उसके नेता मायावती को एलायंस में शामिल करने की बार-बार बात कर रहे हैं। ऐसे में इस बात की भी चर्चा है कि कांग्रेस मायावती के रुख का भी इंतजार कर रही है। कांग्रेस चाहती है कि ऐसा फार्मूला बने जिससे अगर मायावती भी आती हैं तो कोई दिक्कत न हो।
बसपा के गठबंधन में आने पर गठबंधन के सीट शेयरिंग का फॉर्मूला बदल सकता है। फिर नए तरीके से सीट बंटवारा किया जाएगा। कांग्रेस का एक धड़ा सपा से ज्यादा बसपा के साथ गठबंधन चाहता है। उन लोगों का मानना है कि कांग्रेस की कई सीटों पर सपा को एतराज है, जबकि बसपा को नहीं होगा। बसपा और कांग्रेस के बीच आसानी से सीटों का तालमेल हो जाएगा।