सनातन धर्म के उत्थान का समय आया, आगे बढ़ने के लिए वेद हमारे साधन हैं. बोले RSS सरसंघचालक मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि ऐसा कहते हैं कि सनातन धर्म के उत्थान का समय आया है. इसको लेकर विश्व का रूख भी बदल रहा है. हम ये भी जानते हैं कि ऐसे समय में वेदों का ये भाष्य संकेत हैं कि आगे बढ़ने के लिए ये वेद हमारा साधन हैं.

मोहन भागवत ने बुधवार को दामोदर सातवलेकर रचित चारों वेदों के हिंदी भाष्य के विमोचन के अवसर पर ये बातें कहीं.

मोहन भागवत के वक्तव्य के बीच श्रोताओं में से कुछ लोगों ने जय श्रीराम, वंदे मातरम के नारे लगाने लगे. इस पर उन्होंने कहा कि नारों का भी स्थान होता है, वो ये स्थान नहीं है.

उन्होंने कहा कि वेदों के बारे में बोलना मेरा अधिकार नहीं है. मैं उत्साह बढ़ाने आया हूं. वेद और भारत.. ये दो बातें नही हैं.

वेदों में भौतिक-आध्यात्मिक दोनों ज्ञान हैं

मोहन भागवत ने कहा कि वेदों में भौतिक और आध्यात्मिक दोनों ज्ञान हैं. वेद ज्ञाननिधि हैं. वेद लिखे या सोचे नहीं बल्कि देखे गए. हमारे ऋषि मंत्र द्रष्टा थे.

उन्होंने कहा कि आज कलियुग में ज्ञान पाकर वहां तक जाना संभव नहीं है. इंसान ज्ञानेन्द्रियों और माईक्रोस्कोप से प्राप्त करता है पर उसकी भी एक सीमा है. हमारे पूर्वजों ने कहा कि सारा विश्व एक है. सब जुड़े हैं. अलगाव, लड़ाई सब क्षणिक है, मिथ्या है.

मोहन भागवत ने कहा कि सिटी स्कैन की मशीन के बारे में वेद में नही लिखा पर उसका मूल वेद में है, उसका आधार है. जिसके आधार पर आगे उसपर चिंतन निकला. वेदों ने बताया कि सूर्य किरण को पृथ्वी पर आने में कितना समय लगता है. वेदों में विज्ञान है.

आरएसएस सरसंघचालक ने कहा कि मानव, समूह, सृष्टि को भगवान के विश्वरूप के साथ रहना है. धर्म जोड़ता है, जीवन का आधार है.

सृष्टि के साथ आया है वेद

उन्होंने कहा कि वेदों का मूल्य सत्य में हैं. सृष्टि के साथ वेद आया. वेदों का अर्थ, जिसकी प्रतिती है, वही बता सकता है जो वेदों का जीवन जीते हैं, वही उसका अर्थ बताएं तो ठीक रहेगा. संगठन भी वेदों में है. संगठन कैसे बांधना है. इसे भी सूत्र रूप में वेदों में बताया है.

उन्होंने कहा कि वेदों को लेकर हमको वाद-विवाद में नहीं जाना है, क्योंकि उसका फायदा नही है. जो मानते है वो पढ़ें और अनुसरण करें.

उन्होंने कहा कि ऐसा कहते है कि सनातन धर्म के उत्थान का समय आया है. इसको लेकर विश्व का रूख भी बदल रहा है. हम ये भी जानते है. ऐसे समय में वेदों का ये भाष्य संकेत हैं कि आगे बढ़ने के लिए ये वेद हमारे हमारे साधन हैं.

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