‘भारत रत्न’ से सत्ता साधने की सियासत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस वर्ष अब तक पांच महान हस्तियों को ‘भारत रत्न’ से सम्मानित करने की घोषणा कर चुके हैं। पीएम मोदी ने सबसे पहले बिहार के भूतपूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का ऐलान किया था, उसके बाद चार और नाम इस लिस्ट में जुड़ गए। इनमें मोदी के राजनीतिक गुरु लालकृष्ण आडवाणी के साथ-साथ पूर्व प्रधानमंत्रियों चौधरी चरण सिंह और नरिसम्हा राव के भी नाम हैं। वहीं, कृषि क्षेत्र में क्रांति के नायक रहे वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भी भारत से नवाजे जाने का ऐलान किया गया है। लोकसभा चुनावों के माहौल में भारत रत्न के लिए इन शख्सियतों के चुनाव के पीछे की वजहें भी खंगाली जाने लगी है। सच भी है कि सियासत में अक्सर हर कदम बहुत दूर की सोचकर उठाया जाता है।विभिन्न राजनीतिक पृष्ठभूमि और क्षेत्रों के नेताओं और व्यक्तित्वों को सम्मानित करके, मोदी सरकार ने समाज के विभिन्न वर्गों में अपनी अपील को और व्यापक आधार देने की कोशिश की है। मोदी सरकार यह जता रही है कि उसे इन नेताओं के योगदान का महत्व समझ आता है जिन्होंने भारत की विकास यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। निश्चित रूप से मोदी सरकार का यह रवैया मतदाताओं को दिलों को छूएगा।विभिन्न राजनीतिक विचारधाराओं और पार्टियों से जुड़ी हस्तियों को भारत रत्न देना भाजपा को एक ऐसी पार्टी के रूप में स्थापित करने का एक रणनीतिक कदम हो है जो दलगत राजनीति से ऊपर उठती है। भाजपा इन घोषणाओं से लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान यह दंभ भरेगी कि वह राष्ट्र के नायकों को सम्मान देने में तेरा-मेरा की राजनीति नहीं करती है बल्कि इससे ऊपर उठकर वह सबको उचित सम्मान देती है।भारत की हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन को शामिल करके सरकार कृषि विकास और खाद्य सुरक्षा के महत्व पर अपनी नैरेटिव को मजबूत करेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत रत्न की घोषणाओं से उत्तर और दक्षिण भारत के बीच दरार डालने की कोशिशों पर भी पानी फेरा है। उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी, कर्पूरी ठाकुर और चौधरी चरण सिंह के जरिए उत्तर भारत को साधा है तो दो महान शख्सियतों नरसिम्हा राव और एमएस स्वामीनाथन के जरिए दक्षिण को भी बड़ा और स्पष्ट संदेश दिया है।आडवाणी के जरिए राष्ट्रवाद और हिंदुत्व को साधा है तो एमएस स्वामीनाथन और चौधरी चरण सिंह के जरिए किसानों पर डोरे डाले हैं। वहीं कर्पूरी ठाकुर के जरिए देश के एक बड़े मतदाता वर्ग ओबीसी को बीजेपी के पाले में बनाए रखने की कवायद की गई है। नरिसम्हा राव को भारत रत्न देने के पीछे बीजेपी का मकसद दक्षिण के दुर्ग को साधना तो है ही, कांग्रेस पार्टी की फजीहत बढ़ाना भी है।

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