यूपी में कांग्रेस और बहुजन समाजवादी पार्टी को बड़ा झटका लगा है, लेकिन समाजवादी पार्टी के लिए राहत भरी खबर है। यूपी विधान परिषद और विधानसभा में कांग्रेस और बसपा के लिए जो ऑफिस दिए गए थे वह उनसे वापस ले लिए गए हैं।जबकि अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी को एक बड़ा ऑफिस दिया गया है। बतादें कि विधानसभा में सदस्यों के संख्याबल के हिसाब से राजनीतिक दलों को ये कमरे दिए जाते हैं। इसके बाद राजनीतिक दल के सदस्य चाहें विधायक हों या एमएलसी इन्हें अपने ऑफिस के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में बसपा और कांग्रेस के विधायकों की संख्या न के बराबर रह गई है। इसके चलते विधानसभा सचिवालय दोनों पार्टियों से ऑफिसों को वापस लेने का कदम उठाया है।
क्या कहती है नियमावली
आजाद भारत में पहली बार ऐसा हुआ है जब किसी बड़े राजनीतिक दल से विधानसभा ने उसका ऑफिस छीन लिया हो। यूपी में कांग्रेस के साथ ऐसा ही हुआ है। यूपी विधानसभा सदस्य नियमावली की धारा 157 (2) में साफ लिखा है कि ऐसे दल जिनकी सदस्यत संख्या 25 या उससे अधिक है, उन्हें सचिवालय द्वारा कक्ष, चपरासी, टेलीफोन आदि शर्तों के साथ दिए जाते हैं, इसमें भी विधानसभा की भूमिका अहम है। विधानसभा अध्यक्ष ही इन सभी चीजों को निर्धारित करता है। 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बसपा दोनों ही पार्टियां अपना संख्या बल खो चुके हैं। कांग्रेस के पास महज दो सीटें हैं जबकि बसपा के पास एक सीट ही बची है। लंबे समय से इन दोनों पार्टियों के पास ऑफिस एलॉट थे, जिन्हें अब वापस ले लिया गया है।
सपा को संख्या बल का मिला फायदा
संख्याबल के मामले में विधानसभा के अंदर सपा दूसरी ऐसी पार्टी जिसके पास सबसे ज्यादा विधायक हैं। वर्तमान में समाजवादी पार्टी 109 विधायकों के साथ सदन में है। इसको देखते हुए विधानसभा ने सपा को बड़ा ऑफिस एलॉट किया है। इसके अलावा निषाद पार्टी और राजाभैया की पार्टी को भी छोटे-छोटे कमरे दिए गए हैं।
बसपा-कांग्रेस से आगे निकली रालोद और सुभासपा
यूपी में कभी अपनी धाक जमाने वाली बसपा और कांग्रेस काफी पीछे छूट गईं। इन पार्टियों की जगह अब रालोद और सुभासपा ने ले ली है। दरअसल 2022 के विधानसभा चुनाव में बसपा और कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है। इन दोनों पार्टियों से ज्यादा विधानसभा में सदस्य वर्तमान में जयंत चौधरी की पार्टी रालोद और ओमप्रकाश राजभर की सुभासपा के पास हैं। ये कहना भी गलत नहीं होगा कि सुभासपा और रालोद अब बसपा और कांग्रेस को टक्कर दे रही हैं।